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________________ पउमचरिउ [क० ६, ७-९,७,१-९,८,१-३ जहिँ फलइँ णाहिँ विणु तरुवरेंहि तरुवर वि णाहिँ विणु लयहरेंहिँ ॥ ७ लयहरइँ णाहिँ णिकुसुमियइँ जहिँ महुयर-विन्दइँण भमिय॥ ८ ॥ पत्ता॥ साहउ |उ विणु वीणरेंहिँ णउ वाण जाहँ" ण वुक्कारो। 5 ती णियन्त तहिँ जे थिउँ विजालउ सिरिकण्ठ-कुमारो ॥ ९ [७] पहुं तेहिँ समाणु खेडु करेवि अवरेहिँ धरावेंवि सइँ धरेवि ॥ १ गउ किक्कु-महीहरहो(?) सिहरु चउदह-जोयण-पमाणु णयरु ॥२ किउ सहसा सब सुवण्णमउ णामेण किक्कपुर अण्णमउँ ॥३ 1. जहिँ चन्दकन्ति-मणि-चन्दियउ ससि भणेवि अ-दियहें जे" वन्दियउ॥४ जहिँ सूरकन्ति-मणि विष्फुरिय रवि भणेवि जलाइँ मुअंन्ति दिय ॥ ५ जैहिँ णीलीउलि-भू-भगुरइँ" मोत्तियतोरण-उद्दन्तुरई ॥ ६ विदुमदुवार-रत्ताहर अवरोप्परु विहसन्ति व घरइँ ॥७ उप्पण्णु ताम कोड्डावणउँ सिरिकण्ठहों वजकण्ठे तणउ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ एक-दिवसें देवागमणु णिऍवि जन्तु णन्दीसर-दीवहों। वन्दण-हत्तिएँ सो वि गउ परम-जिणहों तइलोक-पईवहीं ॥ ९ [८] स-पसाहणे स-परिवार स-धउ 20 पडिकूलिउ ताम गमणु णरहों 'मइँ अण्ण-भवन्तरें काइँ किउ मणुसुत्तर-महिहरु जाम गउ ॥ १ सिद्धालउ णाइँ कु-मुणिवरहों ॥ २ जें सुर गयं महु जि विमाणु थिउ॥३ 18 s फलइ. 19 A तरुवरेहिं repeated. 20 s णाहि, A नाहि. 21 5 लयहरइ गाइ विणु कुसुमिअई. 22 8 °विंदइ. 23 s उ. 24 S गयाइं. 25s वाणरेहि. 26 5 वाणरु. 27 s जहि. 28 SA बुक्कारु. 29 S ताइ. 30 A नियंतु. 31 तहि जि, A ताहिं. 32 A थियउ..33 A चेत्तालउ. 34 S A °कुमारु. ____7. 1 s यहु. 2 8 तेण. 3 A करिवि. 4 5 अवरेहि मि. 5 8 सइ, A ताई. 6 PS °गिरि०. 7s किक्कपुर: 8 A अन्नमउं. 9 s जहि. 10 A चंदकंत°. 11 s अदियौ, A अदियहि जे. 12 s विप्फुरिया. 13 s भणवि. 14 s जलाए, A जलाइ. 15s मुयंति. 16 A लीलावरि. 17 s भंगुरइ. 18 °उदंतुरइ. 19 s विदुम . 20 A कोडावणउं. 21 8 बजकंठ. 22 8 दिवसि. 23 s णियवि. 24 s जंत. 25 A तइलोय. 8, 1s सयवाहणु. 2 5 सधओ. 3 8 माणुसोत्तर. 4 s °महिहर. 5s सिद्धालउ गाइ. 6 5 मह. 7 SA °भवंतरि. 8 5 काइ. 9 s illegible. 10 s missing. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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