SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क०६,३-९,७,१-१०] पञ्चमो संधि गउ उप्परि तासु पुण्णघणहों में जीविउ हरिउ सुलोयणहों ॥ ३ । रहणेउरचक्कवालण-यरें विणिवाइउ पुण्णमेहुँ समरें ॥४ जो तोयदवाह] तासु सुउ सो रणमुहें कह वि" कह वि ण मुउ ॥५ गउ हंस-विमाणे तुट्ठ-मणु जहिँ अजिय-जिणिन्दै-समोसरणु ॥ ६ मम्भीस दिण्ण अमरेसरण स-वइर-वित्तन्तुं कहिउ गरेण ॥७ ॥ जे रिउ अणुपच्छऍ लग्गै तहों गय पासु पंडीवा णिय-णिवहाँ ॥८ ॥ घत्ता॥ तोयदवाहणु देव पाण लएविणै णट्ठउँ । जिम सिद्धालऍ सिद्धतिम समसैरणे पइट्ठउ ॥९ [७] तं णिसुणेवि पहु झत्ति पलित्तउ णं खंड-हारु हुआँसणे चित्तउ ॥ १ 'मरु मरु जइ वि जाईं पायालहों विसहर-भवण-मूल-घण-जालहों ॥२ पइसइ जइ वि सरणु सुर-सेवहुँ दसविह-भावणवासिय-देवहुँ ॥ ३ पइसइ जइ वि सरणु थिर-थाणहुँ अट्ट विहहुँ विन्तर-गिवाणहु ॥ ४ पइसइ जइ वि सरणु दुबारह जोइस-देवहु पञ्च-पयारहुँ ॥५ कप्पामरहुँ जइ" वि अहमिन्दहुँ वरुण-पवण-वेइसवण-सुरिन्दहुँ ॥ ६ । मरइ तो वि महु तोयदवाहणु' पइज करेंवि गउ दससयलोयणु ॥७ पेक्वेवि माणथम्भु जिणिन्दहाँ मच्छरु माणु वि गलिउ णरिन्दहों ॥८ सो वि गम्पि समसरणु पइट्ठ जिणु पणवेप्पिणु पुरउ णिविट्ठउ ॥९ विहि मि भवन्तराई वजरियइँ विहिं मिजणण-वइरइँपरिहरियइँ॥१०॥ 7 P पुण्णुषणहो. 8 s जं. 9 PS A पुण्णुमेहु. 10 s तोयदवाहण. 11 P रणउहे, S रणउहि. 12 P कहि वि कहिवि ण मउं, S कहिवि मुणउं, A कहवि न कहवि मुउ. 13 A त्तट्ठमणु. 14 PS जहि. 15 P °जिणेंद. 16 P दिन्न. 17 P °वितेत्तु. 18 S लग्गं, A लग्गु. 19 P निवहो. 20 Missing in Ps. 21 PS लेवि. 22 PS पण?उ. 23 PS सिद्धालय, A सिद्धालउ. 24 A समसरणु. 7. 1 PS णिसुणिवि. 2 A खडभार. 3 PS हुआसणि. 4 P S जाहि. 5 PS सुरसेवहो, A °सेवहु. 6 PS °भवणवासियदेवहो, A °देवहु. 7s 'थोरणहु, A °थाणहु. 8 P विहहों corrected to °विहहो, A विहहु. 9 Ps वेंतर'. 10 SA °गिव्वाणहु. 11 SA दुग्यारहु. 12 P जोइसएवढं, S जोइसएवहो. 13 °पयारहो. 14 S कप्पामरहो. 15 A अहव. 16 s अहमिदहो. 17 P°सरिंदह.सरिंदहो. 18A करिवि. 19पेक्खिवि. 20 PS जिणेदहो. 21 A वइट्टउ. 22 A विहिं वि. 23 P भवंतराइ. 24 P S बजरियइ. 25 PS °वइरइ. [६] १ सहस्राक्ष-पितुः. २ पूर्णमेघस्य. ३ न मृतः. ४ इन्द्रेण. ५ सहस्राक्षस्य भृत्याः. ६ पार्श्वे गताः, ७ पुनः, सहस्राक्षस्य किङ्कराः. [७] १ सहस्राक्षः. २ तृणभारम्. ३ मेघस्य. ४ धनदस्य. ५मम हस्ते. ६ सहस्राक्षः, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy