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________________ 92 PAUMACARIU 449 सामीरणि आलिनि। 203 2. 449 परिष्वज्य हनूमन्तम्। 19 24. 450 ताव दसाणणु वरुणहाँ पुत्तेहि, 450 ततोऽसौ युगपत् पुत्रः वरुणस्य समावृतः। वेदिउ चन्दु जेम जीमुत्तेहि ॥ 20 6 7. आदित्य इव गर्जद्भिः प्रावृषेण्यबलाहकैः। 19 47. VP. दहवयणो वरुणस्स सुएहि वेढिओ मेहेहि व दिवसयरो पाउसकाले। 19 24 451 दुन्याएं रवि मेहहुँ मेलावियउ। 2079. 451 महारयसमीरेण धनसङ्घा इव। 19 53. 452 संवेवि विजा-लालें। 20 8 1-2 452 कञ्चिल्लाङ्कलपाशेन विद्यारचितमूर्तिना आकर्षत् । 1955. 453 ताम पधाइउ वरुणु। 20 8 2 458 तं दृष्ट्वा xx अभ्याजगाम वरुणः। 19 57. 454 तर्हि अवसर पवणञ्जय-सारे xxx 454 तावत पुत्रशतं तस्य बद्धं पवनसनना। xxxणिय-लङ्गले वेढेंवि धरिय कुमार । 19 60. 2098-9 VP. गिण्हइ वरुणस्स नन्दणा हणुओ। 19 28. 455 णिय-णन्दण-वन् गेण स-करुणहाँ, 455 श्रुत्वा पुत्रशतं बद्धं वरुणः शोकविह्वलः । पहरणु हत्थे ण लग्गइ वरुणहाँ, विद्यास्मरणनिर्मुक्तो बभूव श्लथविक्रमःxx रावणेण xxx धरिउ रणगणें। रावणःxxइमं क्षिप्रं जग्राहरणकोविदः। 1962. 20101-2 VP. रावणो वि बन्धइ वरुणं। 1928. 456 कोकावेप्पिणु वरुणु दसासें । 26 11 3 456 आनाय्य वरुणोऽवाचि रावणेन । 19 89. 457 मरणु गहणु जउ सव्वहाँ वीरहों। 457 द्वयमेव रणे वीरैः प्राप्यते xxx। णवर पलायणेण लजिजह। 2011 4-5 ग्रहणं मरणं वाऽपि कातरैश्च पलायितुम्। 1991. 458 तासु मिडइ जो सो जि भयाणउ ।। 458 तवात्र लोके मूढो जनो तिष्ठति वैरभावे। 20118 1993. 459 तुहुँ महु राणउ। 459 स्वामी स्वमस्माकम् । 1997. 460 महु सुय णामें सञ्चवइ, 460 गृहाण तन्मे सुता xxx करि ताऍ समाणड पाणिग्गहणु। 20 119 सत्यवतीति नाना। 1999. VP. हणुयस्स देइ कन्नं सच्चमई नाम नामेणं । 19 32. 461 दिजइ पउमराय सुग्गीवें, 461 (a) सुग्रीवसंज्ञस्य xxx तनूजा खरॅण अणकुसुम xxx, xxx पद्मगगा। 19 108-119. णल-णीलेहि धीय सिरिमालिणि, विवाहःxxx विनिर्मितः । 19126. भट्ट सहास एम परिणेप्पिणु। (c) ददौ समीरप्रभवाय कन्यो अनङ्गपुष्पेति xxxगतां प्रसिद्धिम। 19102-103. 20 12 8-10. (d) अनल: xxx हरिमालिनी xxx ददौ xxxहनूमते। 19 105. (e) इदि क्रमेणाम्य बभूव य षितां परं सहस्राद् गणनम् । . 19 106. VP. (a) हणुयस्स xxx दिन्ना कन्ना अणङ्ग कुसुमत्ति नामेणं । नलेण दिना कन्ना हरिमालिणि त्ति नामेणं। 1934-36. (b) दुहियं xx सुग्गीवो नामेण पउमरागं 1 37. (c) हणुएण वरतणू सा परिणीया। 19 41 (d) एवं सहस्समेगं जायं हणुयस्स पवरमहिलाणं। 19 42. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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