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________________ PAUMACARIU 98 इहु तेण समाणु खेड्डु करेंवि । 6 7 la. 98 (a) ततस्तैर्महती रन्तु प्रीतिरस्य समुत्थिता। .611la. (b) तैरसौ साकं रन्तुं प्रवते नृपः। 6 114a. Vp. कीलणहेउं नरिन्देण। 6 43b. 99 अवरेहि मि धरावेवि सइँ धरैवि। 67 18. 99 ग्राहयित्वा च तान् । 6121a. VP. घेत्तूण ताण। 6435. 100 गड किक-महीहर-गिरि-सिहरु, 100 (A) किष्कुमारोहत्.। 6 123. बउदह-जोयग-पमाणु णयरु । (b) पुरं तत्र xx ख्यातं कि कुपुराख्यया ॥ किउ सहसा सव्वु सुवण्णमउ, 6123a. णामेण किक्कपुरु भण्णमउ ॥ 6 7 2-3. (c) प्रमाण योजनान्यस्य चतुर्दशसमन्ततः 6124a. VP. किक्किन्धि पव्वओवरि सुवण्णपाया। चोद्दसजोयण-विउलं किक्किन्धिपुर कयं तेण 6 49. 101 जहिँ चन्दकन्तमणि-चन्दियउ, 101 (a) शशाङ्क-सदृशाकारैर्मणिभिः xxxx ससि भणेवि भ-दिभहें जें वन्दियउ । 67 4. रजनीष्वपि कुर्वाणा सन्देहं रजनीकरे ॥ 6 129. (b) चन्द्रकान्तमणिच्छायाकल्पितोदारचन्द्रिका । 6 130a. 102.67 6-7. 102. 6 126-128. 103 भवरोप्पर विहसन्ति व घरई। 677b. 103 हसन्त्य इव शेषाणां भवनानां सुरूपताम् । 6128b. 104 एक-दिवस देवागमणु, 104 (a) कदाचिदथ xx वजन्तं वन्दना (ना) शियवि जन्तु णन्दीसरदीवहाँ। भक्या द्वीपं नन्दीश्वरश्रुतिम् ।। वन्दणहत्तिएँ सो वि गउ ॥ 679. पाकशासनमैक्षिष्ट सत्रा देवैः ॥ 6 137-1386. (b) अकरोद् गमने मतिम् । 6 142a. 105 स-पसाहणु सपरिवारु सधउ, 105 (a) खेचरैश्च समं सर्वैः। 6142b. मणुसुत्तर महिहरु जाम गउ ॥ (b) सहाजनः मानुषोत्तरशैलेन । पटिकूलिङ ताम गमणु णरहों। निवारितगतिः कृतः। 6143. 68 1-28. 106 मई अण्ण-भवन्तरें काई किड, 106. (a) अतिक्रान्तांस्ततो दृष्ट्वा xx में सुर गय महु जि विमाणु थिउ ॥ गीर्वाणनिवहान् xx परिदेवमथो चके। वरि घोर वीर-तउ हउँ करमि, 6144-145a. णन्दीसरक्खु जें पइसरमि ॥ (b) मनोरथाः कथं ते कर्मभिर्भमा गउ एम भणेवि णिय-पट्टणहाँ, अशुभैः पूर्वसंचितैः ॥ 6 148. संताणु समप्पेंवि गन्दणहाँ॥ (c) तस्मात् करोमि कर्माणि तानि यैरन्यजन्मनि । णीसख जाउ णिविसन्तरण, यातुं नन्दीश्वरं द्वीपं गतिर्मे न विहन्यते ॥ जिह वजकण्टु कालन्तरण ॥ इति निश्चित्य मनसा न्यस्य राज्यभर सुते । तिह इन्दाउहु तिह इन्दमइ, अभूत् महामुनिर्धारस्त्यक्तसर्वपरिग्रहः ।। तिह मेरु स-मन्दरु पवणगइ ॥ वज्रकण्ठस्ततः ॥ 6 151-153a. तिह रविपहु xx॥ (d) इन्द्रायुधप्रभोप्येवं xx। पवमह णामें अमरपहु, तत इन्द्रमतो जातो मेरुस्तस्माच्च मन्दरः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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