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PAUMACARIU
(b) तहें णिय-लायण्णु जै दिण्ण-सोहु, (b) निर्गुणः कौङ्कुमः पको मलु केवलु पर कुङम-रसोहु ॥ 1 13 6.
लावण्यस्य कलङ्कजम् । 3 106b. (c) पासेय-फुलिङ्गावलि जें चारु,
(c) मण्डनं खेत(?द)बिन्दवः । पर गरुयउ मोत्तिय-हारु भारु ॥ 1 13 7. ___ कुचयोः हार-भारस्तु वृथव परिकल्पितः ॥ (d) लोयण जि सहावें दल-विसाल,
3 108. आडम्बर पर कन्दोह-माल ॥ 1 13 8. (d) मण्डनं मुण्डमालाया(?) यस्याश्चक्षुरभूद् वरम् (e) कमलासाएँ भमन्तऍण, अलिवलएं मन्दें। असितोत्पल-दामानि केवलं भारमात्रकम् 3 100 मुहलीहूयउ कम-जुयलु किं णेउर-सवें ॥ (e) भूषणं भ्रमरा एव निलीनाः कमलाशया।
113 9. पादयोरेन्द्रनीले च नूपुरे निष्प्रयोजने ॥3 110 9 1 14 4-8.
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3 114-120. (a) का-वि x x गायइ वायइ ॥ 1 14 4. (a) काश्चित् ४४ उपगायन्ति वीणया। 3 114 (b) का-विदेह तम्बोलु सहत्थें। 1 14 5a. (b) ताम्बलदायिनी काचित । 3 116a (c) सन्चाहरणु का-वि सहुँ वत्थें । 1 1450.
(c) आनेत्री वाससां काचिद् (d) पाडइ का-वि चमरु। 1 14 6a..
भूषणानां ततः परा। 3 118b. (e) उक्खय-खग्ग का-वि पडिरक्खइ 1 147a. (d) चामरग्राहिणी काचित् । 3 118a. (f) का-विजक्खकद्दमण पसाहइ। 1 14 8a.
(e) मण्डलामकरा काचित्
सततं पालनोद्यता। 3 116 6. (f) काचिद् गन्धानुलेपने। 3 119b.
10 वर-पलकें पसुत्तियऍ सुविणावलि दिट्ठी। 10 (a) शयनीये खे सुप्ता साऽत्यन्त-कोमले। 1149a.
3121b.
(b) अद्राक्षीत् xx स्वप्नान् । 3 123b. 11 एम वुत्तु, तउ होसइ तिहुअण-तिल पुत्तु। 11 जगाद 'त्वयि संभूतस्त्रलोक्यस्य गुरुः शुमे 116 16.
3 153b. 12 (a) जिण-सूरु समुट्ठिउ । 1 16 8a. 12 उदितस्त्वं दिवाकरः । 32026.
(b) उइउ xxx दिवायरु। 116 96. 13 वोहन्तु भव-जण-कमल-सण्डु । 1 16 86 13 प्रबोधं यास्थतीदानी भव्यसत्त्वकुमुद्रती ।
3 203b. VP. जिणिन्दभाणू वोहिन्तो भविय-कमलाई
2 36b. 14 केवल-किरणायरु। 1 16 9a 14 VP. केवल-किरण-दिवायर। 2 43b 15 मोहन्धार-विणासयरु। 1 16 9a. 15 अज्ञान-तमसावृते। 3 202a.
VP. मोहन्धयार-तिमिरे। 2 43a. 16 लहु सक्केय-गयरि किय जक्खें । 16 (a) ततः साकेतनगरं धनदेन, विनिर्मितम्। परियञ्चिय ति-वार सहसक्खें ॥ 22 5.
3169a.
(b) पुरं प्रदक्षिणीकृत्य त्रिः शक्रः। 3 172a. 17 भग्गएँ माया-वालु थवेप्पिणु। 227b. 17 मायाबालम् ।
3173a. VP. मायाबालं ठविय पाले। 376a.
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