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________________ १२० युगपदुपयोग छद्मस्थोपयोगल दर्शनोपयोग ज्ञानोपयोग ज्ञान दर्शनोपयोग विशेषोपयोग सामान्योपयोग एकदेशोपयोग 'क्रमोपयोग केयलोपयोग एकोपयोग साकारोपयोग उपयोगक्रम उपयोगयोगपद्य उपयोगायोगपद्य उपयोगेन्द्रिय कह क्रमावच्छिन्नोपयोगद्वय छद्मस्थिकोपयोग मतिज्ञानोपयोग अवधिज्ञानोपयोग स्थज्ञानोपयोग उपलक्षण उपलक्ष्य उपादानकारण उपादानत्व उपादेयोपादानक्षण श्रुतज्ञानमूलोहावि मतिज्ञानमूलोहादि ऋजुसूत्रनय एकजीवमुक्तिवाद एकान्तरुचि एकेन्द्रिय. एकोपयोग ऐदम्पर्यार्थबोध ऐन्द्रियकश्रुतज्ञान औत्पत्तिकी १. ज्ञानविन्दुगतानां पारिभाषिकशब्दानां सूची । [क] Jain Education International [ ऊ ] [#] [ ५ ] [] [ श्री ] ३४.१. ३४.२. कर्म ३४.११. कर्मता ३४.११;४६.२२. कल्पितविषयता ३४.१२,४६.२२. कारकव्यापार ३४.२७. कारण ३४.१७. ३८.२८. ४०.२६. ४१.३१. ४३.६. ४३.२२. ४४.८. ४५.१८. ४६.२३. ४६.१४. ४६.३२. ७.९३६.२. उपादान निमित्त ३८.१५:४८.१९. कारणगतगुणदोष कार्यकारणभाव ३०.१५. ४८.११. केवल केवल चैतन्य केवलज्ञान ७.१२. ८.३२. केवलज्ञानल केवलज्ञानावरण ३५.३१. | केवलज्ञानोत्पत्ति ४४.३. १०.१९. २७.१३. केवलान्वविन् २७.२३. केवलायबोध ३१.२७. केवलिन् २३. ६. २३.१३. कोडस्थ्य अखण्डाद्वयानन्देकरसब्रह्मज्ञान क्रमोपयोग ७. १४९.१. क्रमोपयोगत्व अपरोक्ष केवलज्ञानकेवलदर्शनावरण केवलोपयोग ८.२६. लिष्टक्षण ८.२६. क्लेशहानि क्षपक श्रेणि क्षय क्षयोपशम क्षयोपशम प्रक्रिया १.६:१७.१५; १९.२,३३.२२,३५.८; ३७.३२:४१.१. २३.१२. २०.१९. ५.२६. १९.६. १०.१०. २०.१६. केवलदर्शन १९.४:३३, २५:३५.८:३६, २०, ३७.३२. केवलद्विक ४.५. क्षामिक क्षायिक केवलज्ञान क्षायिकचारित्र क्षायिकभाव १०.१२,२३,११,२७.२,३६.११. १९.२२:४१, २७:४३.१. २३.१५. २२.८. २७.७. २७.१८. २३.२. For Private & Personal Use Only ३१.२७. ३१.२७. ११.९. क्षायिकसम्यक्ल ७.२७. क्षायोपशमिकगुण ७.६. क्षायोपशमिकज्ञान क्षायोपशमिकप ७.६. क्षायोपशमिकसम्यक्त्व २६.२०. ४७.२२. ३४.१२,३९.२५० ४१.३१. २७.२५. ४०.२६. ३६.१८. २३.७. २२.१४. ४.४. ४१.१९. ३.१८:४३.३३. ६.७. ३.१२. ६.१०. ३.१२. ३८.९. ११.२४. ४.२५. ६.१०. ३.१०. ५.२५. www.jainelibrary.org
SR No.002518
Book TitleGyanbindu Prakarana
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1942
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size13 MB
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