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एक स्तुत्यप्रयास
अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ की हार्दिक इच्छा है कि हमारे पूर्वाचार्यो द्वारा रचित साहित्य को हिन्दी में उपलब्ध कराया जाये, जिससे समाज - जनों को उनके स्वाध्याय का लाभ मिले एवं वे अपनी दैनिक चर्या को तदनुरूप बनाकर जीवन जीने का सौभाग्य प्राप्त कर सकें। हमें अत्यन्त प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि विद्ववर्य हेमचन्द्रसूरि द्वारा रचित उपदेश - पुष्पमाला की साधु सोमगणि की टीका का हिन्दी अनुवाद साध्वी श्री सम्यक्दर्शना श्री जी म.सा. द्वारा किया गया है एवं जिसका संपादन डाँ. सागरमल जी सा जैन ने किया है। इसी तरह हमारे पूर्वाचार्यों द्वारा रचित साहित्य का अनुवाद गच्छ के सभी साधु-साध्वीजी करते रहेंगे तो हमारा समाज उन ग्रन्थों के स्वाध्याय से अधिक लाभान्वित हो सकेगा ।
साध्वी श्री जी के प्रति बहुत - बहुत आभार प्रकट करते हुये उनके लिये यही शुभ कामना है कि वे इसी तरह से साहित्य सेवा में प्रगति करती रहें ।
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उपदेश पुष्पमाला / 7
अ. भा. श्री जैन श्वे. खरतरगच्छ महासंघ अध्यक्ष
मंगल प्रभात लोढ़ा
ता. 21.06.2007
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