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________________ समेतशिखरे वीश जिनवर मुक्ति पहोंच्या मुनिवरं, चोविश जिनवर नित्य वंदु सयल संघ सुहंकरं. २ अग्यार अंग उपांग बारे दश पयन्ना जाणीए, छ छेदग्रंथ प्रशस्त अत्था चार मूल वखाणीए; अनुयोगद्वार उदार नंदी सूत्र जिनमत गाइए, - वृत्ति टीका भाष्य चूर्णी पीस्तालीश आगम ध्याइए. ३ दोय दिशी दोय बालक सदा भवियण सुखकरू, दुःखहरी अंबा लुंब सुंदर दुरित दोहग अपहरू, गिरनारमंडन नेमि जिनवर चरणपंकजसे वीए, श्री संघ सुप्रसन्नमंगल करो ते अंबादेवीए . ४ श्री गिरनार शिखर शणगार, पुरण करुणा रसभंडार, मोर करे मधुरो किंकार, (३) राजीमती हैडानो हार, जिनवर नेमिकुमार, उगार्या पशुआं ए वार, समुद्रविजय मल्हार; विचे विचे कोयलना टहुकार, सहस गमे सहकार, सहसावनमां हुआ अणगार, प्रभुजी पाम्या केवलसार, पहोता मुक्ति मोझार. १ सिद्धिगिरिए तीरथ सार, आबु अष्टापद सुखकार, चित्रकूट वैभार, सुवर्णगिरि सम्मेत श्रीकार, नंदीश्वर वर द्वीप उदार, जिहां बावन विहार; ८४
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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