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दुःखो तणा डुंगर भले ने त्राटके मुज उपरे आपत्तिना वादळ भले वरसी पडो मुज उपरे रोगो तणी फोजो भले ने त्राटके मुज उपरे पण सर्व काळे नाथ ! तारो हाथ रहों मुज उपरे. आराधनानी गांठ सरकी जाय ना जोजे प्रभु ! मुज भावनानो स्त्रोत फसकी जाय ना जोजे प्रभु ! .. आ श्वासनी क्यारी महीं तुज नामने रोप्युं प्रभु ! ए मोक्षगामी बीज बगडी जाय ना जोजे प्रभु ! (१७) पावन करजो हे प्रभु ! भव जल थकी उगारजो रत्नत्रयीनी वरसुधार्नु पान मुजने करावजो में हाथ झाल्यो आपनो जिम बाळ झाले मातनो मुक्ति मळे ना ज्यां सुधी आ बाळने संभाळजो. .(१८) सागर दयाना छो तमे करुणा तणा भंडार छो अम पतितोने तारनारा विश्वना आधार छो तारा भरोसे जीवन नैया आज में तरती मकी कोटि कोटि वंदन करूं जिनराज ! तुज चरणे झूकी. (१९) निःसीम करुणाधार छो त्रण जगतना आधार छो ओ दयासिंधु ! शुं कहुं मारा हृदयना हार छो सहु जीवने उगारवा करुणा तणा अवतार छो मुज भक्तिनी आ सितारना तमे तेजस्वी तार छो. (२०) भले कांई मुजने ना मळे पण तुं मळे तो चालशे भले आश मुज को नवि फळे बस तुं मळे तो चालशे विश्वास कीधो विश्वमां व्हाला जिनेश्वर आपथी छूटवा मथु छ अंतरे भवोभव केरा संतापथी. (२१) वैराग्यनां रंगो सजी क्यारे प्रभु ! संयम ग्रहुं ? सद्गुरु तणां शरणे रही स्वाध्याय गुंजन करुं ? सवि जीवने दई देशना हुं धर्मनु सिंचन करूं? कर्मो थकी निर्लेप थईने क्यारे हुँ मुक्ति वरूं? (२२)
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