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करुणा महादेवी तणा सोहामणा नंदन तमे, संसार केरा रण मही आनंदनी छो क्षण तमे, कषाय केरी उग्रताए प्रज्वळता चैतन्यने, बस नाम लेता ठारतुं प्रभु, एहवुं चंदन तमे. मार्गस्थ जीवो काज भवनिस्तारनुं तरणुं तमे, अध्यात्मना गुण बागमां मन मोहतुं हरणुं तमे, मुज पुण्यनुं भरणुं तमे, मुज प्रेमनुं झरणुं तमे, आ विश्वना चोगानमां छो शाश्वतुं शरणं तमे.
मळजो मने जन्मो जनम
मळजो मने जन्मो जनम बस आपनी संगत प्रभु ! रेलाय मारा जीवनमां भक्ति तणी रंगत प्रभु !
. तुज स्मरणभीनो वायरो मुज आसपास वहो सदा मुज़ अंगे अंगे नाथ ! तुज गुणमय सुवास वहो सदा (१) ना तेज हो नयने परंतु निर्विकार रहो सदा हैये रहो ना हर्ष किंतु सद्विचार रहो सदा सौंदर्य देहे ना रहो पण शीलभार रहो सदा मुज स्मरणमां हे नाथ ! तुज परमोपकार रहो सदा. छे एक विनती नाथ ! माहरी कानमां अवधारजे प्रत्येक अक्षर प्रार्थनाना ह्यदयमां कंडारजे साक्षात् के स्वप्ने दई दर्शन प्रभु ! मने ठारजे हैये जे उछळी भावधारा सतत तेने वधारजे.
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