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सामान्य भक्तिगीत विभाग १. भगवाननी कृपानो.... २०३ | ३७. दादा तारा पगलां... २२४
आशरा इस जहा का... २०३ | ३८. मारा मनमां अक ज तुं... २२५ तुज करुणाधारमां... २०४ | ३९. तुजने जोया करुं...
२२५ ४. तारे द्वारे आवीने.... २०५ | ४०. तारी प्रीतिनी केवी असर? ५. करुणाना सिंधु प्रभुजी.... २०५ | ४१. समजुने शुं कहेवाय... ६. सूरज की गरमी से... २०६ / ४२. आ भवना सागरमां... ७. एक घडी प्रभु...
२०७ | ४३. फहुँ छ पहाड ने जंगल... ८. आंखडी मारी प्रभु...
२०७ ४४. सदा हुं तुं सदा तुं हुं... ९. अमी भरेली नजरुं... २०८ | ४५. मोहे लागी लगन...
२२९ १०. गमे ते स्वरुप...
२०८ | ४६. समयने साचवी लेशो... २३० ११. झगमगता तारला...
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४७. मंदिर पधारो स्वामी... २३० १२. तमे मन मूकीने...
२०९ ४८. मुझे मेरी मस्ती... . १३. नाम है तैरा तारणहारा....... २१० | ४९. तमारे इसारे तमारी कृपाथी... २३२ १४. बंधन बंधन झंखे मारुं मन... २१० | ५०. फूल नहि तो पांखडी... २३२ १५. मुक्ति मले के न मळे..., २११ | ५१. जैसा मिलता रहे... १६. ओ वीर तास चरणकमलमां... २१२ / ५२. आंसु भरेली आंखे... २३४ १७. मारो धन्य बन्यो... २१२ | ५३. प्रेम भरेलुं हैयु.... २३४ १८. मारा व्हाला प्रभु... २१३ | ५४. स्वामी तारा स्नेहथी... १९. यह है पावन भूमि... २१४ | ५५. मने ज्यां जवानुं मन... २०. हुं करुं धुं प्रार्थना... २१४ / ५६. तुं मने भगवान...
२३६ २१. चार दिवसनां चांदरडां पछी... २१५ | ५७. संसार के सागर में...
२३७ २२. माएं आयखं खूटे... २१५ | ५८. जिंदगी बेकार चाली... २३. भक्ति करता छूटे मारा... २१६ | ५९. मेरे दोनों हाथों में... २४. प्रभु ओ विनंती...
६०. ओवी लागी लगन...
२३९ २५. आटलुं तो आपजे....
२१७ ६१. अक पंखी...
२३९ २६. मैत्रीभाव- पवित्र झर[... २१८ | ६२. तारी जो हांक सुणी कोई ना आवे...२४० २७. समताथी दर्द सहु....
२१८ | ६३. पंखीडा ने आ पीजरूं... २४० २८. व्हाला मारा हैयामां... २१९ ६४. अक ज अरमान छे मने... २४१ २९. अब सोंप दिया...
६५. प्रभु ! तें मने जे... २४२ ३०. बधी मिलकत तने धएं तोपण...
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६६. प्रभु ! मारा कंठमां देजो... २४२ ३१. दादा ताएं मंदिर...
६७. रंगाई जाने रंगमां... २४३ ३२. चलो बुलावा आया है... | ६८. शब्दमां समाय नहीं... २४४ ३३. दर्शन देजो नाथ... २२२ | ६९. मारो धन्य बन्यो आज... २४५ ३४. जब कोई नहि आता... २२२ | ७०. ओ तारणहारे...
२४५ ३५. अमने अमारा प्रभुजी... २२३ | ७१. प्रभु अमे डूबी रह्या.... २४६ ३६. आ भव मलिया... २२४ | ७२. पाप करतां माप राख्यु...।
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