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________________ आ भव मळिया। आ भव मळिया ने परबव मळजो सेवा तमारी भवोभव मळजो...१ डगमग डोले आ नैया हमारी सुकानी थईने तारजो स्वामी...२ आशा नथी करी अन्य कने में श्रद्धा न राखी अन्य कने में...३ कुमकुम पगले आप पधारो हृदय मंदिरमां नाथ बिराजो...४ हुँ छु अनाथ ने तमे मारा नाथ हाथ झालो ने हवे दिनानाथ...५ हुँ छ रागी ने तमे वीतरागी सेवकना ल्योने कार्य संभाळी...६ सफळ थयो नरजन्म अमारो अंतरथी गुण गाया तमारा...७ शरणुं तमाएं भवभव मळजो दर्शन तमारा अहोनिश फळजो...८ आ भव मळिया ने परभव मळजो सेवा तमारी भवोभव मळजो. दादा तारां पगलां दादा तारां पगलां पड्याने आनंद छायो, उत्सव अनेरो आज आंगणे आव्यो, पगलां पड्याने आनंद छायो... दादा अणधार्या आवीने अमोने मल्या छ, पूर्व जन्मनां पुण्यो फल्या छे, भक्तिना रंगे आखो संघ रंगायो... पगलां... मनना मंदिरिये आसन बिछाव्यां, मारग मारगडे मोतीडा वेराव्या, रोमे रोमे राजीपो केवो रे छवायो... पगला. ૨૪
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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