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भक्ति करतां छूटे मारा...
...प्रभु...
भक्ति करतां छूटे मारा प्राण, प्रभु अर्बु मांगुं छु रहे हृदय कमळमां तारुं ध्यान, प्रभु एव॒मार्नु छु... ताएं मुखड़े प्रभुजी हुं जोया कएं, रात दिवस गुणो तारा गाया करुं, अंत समये रहे तारुं ध्यान... मारी आशा निराशा करशो नहि, मारा अवगुण हैये धरशो नहि, श्वासेश्वासे रहे तारुं ध्यान · . मारा पाप ने ताप समावी देजो, आ सेवकने चरणोमां राखी लेजो, आवी देजो दर्शन दान तारी आशाओ प्रभु हुं तो जीवी रह्यो, तमने मळवाने प्रभु हुं तो तलसी रह्यो, मारी कोमळ काया करमाय मारा भवोभवना पापो दूर करो, मारी अरजी प्रभुजी हैये धरो, मने राखजो तुम्हारी पास तमे रहेजो भवोभव साथ
...प्रभु...
...प्रभु... ...प्रभु...
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