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यह है पावन भूमि...
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यह है पावन भूमि, यहां बार बार आना... प्रभु वीर के चरणो में, आकर के झूक जाना... यह है.
तेरे मस्तक पे मुगट है, तेरे कानो में कुंडल है, तुं तो करुणा सागर है मुज पर करुणा करना... यह है.
तुं जीवन स्वामी है, तुं अंतर्यामी है, मेरी बिनती सुन लेना, भव पार करा देना... यह है.
तेरी सावली सूरत है, मेरे मनको लुभाती है, मेरे प्यारे प्यारे जिनराज, युग-युग में अमर रहना है... यह है.
तेरा शासन सुंदर है, सभी जीवो का तारक है, मेरी डूब रही नैया, नैया पार लगा देना... यह है.
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जात छ,
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हुँ कर छु प्रार्थना... हुं करुं छु प्रार्थना... मने प्रेम तारो आपजे, . कांई खोटुं काम करतो होउं... त्यारे तुं मने वारजे... जीवन छे संग्राम... कोईनी हार कोईनी जीत छे, जाणुं छु संसार आ तो... सुखदुःखनो सार छे, हारथी हारी न जाउं... अवी हिंमत आपजे ...काई खोटुं. धन मळे के न मळे पण,.. धर्म ने हुं जाळवं, तारो पंथ चूकी न जाउं... अटलुं संभाळवं, ते छतां भूलो पर्दू तो... साचे रस्ते वाळजे ...कांई खोटुं. मोक्षनी चिंता नथी... हुं रात-दिन भक्ति कएं, ताएं नाम भुलाय नहि... भावना अवी भावं, डगुमगु नहि हुं कदापि... श्रद्धा ओवी आपजे ...काई खोटुं.
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