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आजे गिरनार - नेमिनाथ आ बन्ने नामो एकबीजाना पर्याय तुल्य बनी गया छे, गिरनार - नेमिनाथ एकबीजा साथे अनेक घटनाओनी घटमाळथी गुंथायेला छे. | आजे पण आ तीर्थभूमि उपर नेमिप्रभु सह अनंता तीर्थंकरोना दीक्षाकल्याणक | अवसरना वैराग्यरसथी भींजायेलो वसंतीवायरो रोम-रोमने रोमांचित करी रह्यो छे, अनंता केवळज्ञान कल्याणकोनो पुनितप्रकाश अनेक भव्यात्माओना अंतरमां | पडेला मिथ्यातामसने दूर हडसेली सम्यक्त्वनी साधनानो स्पर्श करावी रह्यो छे साथे साथे अनंताजिनना मोक्षकल्याणकोनी मधुरीमहेकथी समग्र प्रकृति |मघमघायमान बनी रही छे.
आवा महातीर्थनी आराधना - साधना-उपासना आपणा आत्मा उपर गाढ थयेला अनादिकाळना विषय कषायनी वासनाना संस्कारोने मंद पाडी परंपारए परमतत्त्व पर्यंत पहोंचाडवानुं सामर्थ्य धरावे छे, तेथी आ तीर्थभक्ति भव्यजनोनी भावधाराने प्रोत्साहित करे तेवा शुभाशयथी स्तुति, स्तवन, थोय भक्तिगीतो, स्तोत्र, पूजादि संग्रहस्वरूप झरणांओनो संगम करावी प्रस्तुत "गिरनार गीतगंगा" नुं अवतरण करावी भव्यजनोना हैया सुधी वहेतुं करवानो अल्पप्रयास करेल छे. सौ कोई आ गंगाजळनां भावस्नाननी मस्ती माणी परमपंथ तरफ पगरव मांडी परंपराए परमपदने पामे ए ज पिपासा.
जिनाज्ञा विरुद्ध कंई लखायुं होय तो त्रिविधे अंतःकरणपूर्वक क्षमा याचुं छं.
वि.सं. २०७२
| अ. सु.द.
| नेमिनाथ मोक्षकल्याणक दिन
लि. भवोदधितारक गुरुपादरेणु पंन्यास हेमवल्ल्भ विजय