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[529 ] षट्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
इच्चेए थावरा तिविहा, समासेण वियाहिया।
इत्तो उ तसे तिविहे, वुच्छामि अणुपुव्वसो॥१०६॥ इस तरह तीन प्रकार के स्थावर जीवों का संक्षेप में वर्णन किया गया। इससे आगे तीन प्रकार के त्रस जीवों का आनुपूर्वी से क्रमपूर्वक कथन करूँगा॥ १०६॥
Thus three kinds of immobile beings have been described. Now I will describe three kinds of movable species one by one in due order. (106) तीन त्रसकायों का नामोल्लेख .
तेऊ वाऊ य बोद्धव्वा, उराला य तसा तहा।
इच्चेए तसा तिविहा, तेसिं भेए सुणेह मे॥१०७॥ तेजस्काय, वायुकाय तथा उदार (एकेन्द्रिय त्रसों की अपेक्षा द्वीन्द्रिय आदि उदार-स्थूल) त्रस-इस तरह ये तीन प्रकार के त्रस हैं, उनके भेदों को मुझसे सुनो। १०७ ।। Names of three mobile-bodied beings
Mobile-bodied beings are of three kinds-(1) fire-bodied, (2) air-bodied, and (3) gross (gross as compared to one-sensed mobile being) mobile beings. Now hear from me the sub-divisions of all these three. (107) तेजस् त्रसकाय की प्ररूपणा
दुविहा तेउजीवा उ, सुहुमा बायरा तहा।
पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेए दुहा पुणो॥१०८॥ . तेजस्कायिक जीव दो प्रकार के हैं-(१) सूक्ष्म, और (२) बादर। पुनः इन दोनों के दो-दो भेद हैं-(१) पर्याप्त, और (२) अपर्याप्त ॥ १०८ ॥ Fire-bodied mobile beings
Fire-bodied beings are of two types-(1) minute, and (2) gross. These two are also of two types each - (1) fully developed (paryaapt), and (2) under-developed (aparyaapt). (108)
बायरा जे उ पज्जत्ता, णेगहा ते वियाहिया।
इंगाले मुम्मरे अग्गी, अच्चि जाला तहेव य॥१०९॥ जो बादर पर्याप्त तेजस्कायिक जीव हैं, उनके अनेक प्रकार बताये गये हैं; यथा-अंगार-निर्धूम अग्निकण, मुर्मुर-भस्ममिश्रित अथवा भस्म से आवरित अग्निकण, अग्नि-आग, अर्चि-मूल सहित अग्निशिक्षा अथवा दीपशिखा या प्रकाशकिरण, ज्वाला-प्रदीप्त अग्नि- ॥ १०९॥ ___ Fully developed fire-bodied beings are said to be of many kinds - embers (angaar), ash-covered embers (murmur), fire, wick-top flame or ray of light (archi), blaze, -(109)
उक्का विज्जू य बोद्धव्वा, णेगहा एवमायओ। एगविहमणाणत्ता, सुहुमा ते वियाहिया॥११०॥