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[481] चतुस्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in
- चठतीसइमं : लेसज्झयणं
चतुस्त्रिंश अध्ययन : लेश्याध्ययन Chapter-34 : STUDY OF SOUL-COMPLEXIONS |
लेसज्झयणं पवक्खामि, आणुपुव्विं जहक्कम।
छह पि कम्मलेसाणं, अणुभावे सुणेह मे॥१॥ मैं आनुपूर्वी के क्रमानुसार-यथाक्रम से लेश्याओं के प्रतिपादक अध्ययन का कथन करूंगा। कर्म (की स्थिति विधायक) छह लेश्याओं के रस-विशेष-अनुभावों को मुझसे सुनो॥१॥
I will recite in sequential order the chapter defining leshyas or soul-complexions. Hear from me the unique characteristics of six soul-complexions conveying the existence of karmas. (1)
नामाई वण्ण-रस-गन्ध, फास-परिणाम-लक्खणं।
ठाणं ठिई गई चाउं, लेसाणं तु सुणेह मे ॥२॥ नाम, वर्ण (रंग), रस, गन्ध, स्पर्श, परिणाम, लक्षण, स्थान, स्थिति, गति और आयु-इन द्वारों के माध्यम से लेश्याओं के विषय में मुझसे सुनो ॥२॥
Hear from me about soul-complexions on the basis of these (eleven) attributes (dvaras)-Naam (name), Varna (colour), Rasa (taste), Gandha (smell), Sparsh (touch), Parinaam (degree of intensity), Lakshan (symptom), Sthaan (variety), Sthiti (duration), Gati (result) and Aayu (life-span). (2) (१) नामद्वार
किण्हा नीला य काऊ य, तेऊ पम्हा तहेव य।
सुक्कलेसा य छट्ठा उ, नामाइं तु जहक्कमं॥३॥ (१) कृष्ण, (२) नील, (३) कापोत, (४) तेजस्, (५) पद्म, और (६) शुक्ल-इन छह लेश्याओं के ये नाम यथाक्रम से-क्रमानुसार हैं॥ ३॥ (1) Naam dvara (name)
The names of these six soul-complexions (leshyas) in due order are-(1) Black (krishna), (2) Blue (neel), (3) Pigeon-blue (kaapot), (4) Fiery-red (tejas), (5) Lotusyellow (padma), and (6) White (shukla). (3) (२) वर्णद्वार
जीमूयनिद्धसंकासा, गवलऽरिट्ठगसन्निभा।
खंजणंजण-नयणनिभा, किण्हलेसा उ वण्णओ॥४॥ स्निग्ध (सजल) काले मेघ के समान, भैंस के सींग और अरिष्टक (काले रीठे, द्रोण काक) के सदृश, खंजन (गाड़ी के कीट अथवा खंजन पक्षी), अंजन (काजल या सुरमा अथवा आँखों की पुतली) जैसा काला रंग (वर्ण) कृष्णलेश्या का वर्ण है॥ ४॥