________________
चित्र परिचय ३८
Illustration No. 38
पुरोहित परिवार द्वारा गृह-त्याग (1) पुत्रों को गृह त्यागकर जाते देखकर भृगु पुरोहित ने पत्नी यशा से कहा-साँप जैसे
कैंचुली को छोड़कर, मत्स्य और हंस जैसे जाल को काटकर बंधन-मुक्त हो जाते हैं, वैसे ही हमारे पुत्र बंधन-मुक्त होकर जा रहे हैं। अब. हम पंख कटे पक्षी
की तरह, शाखाहीन वृक्ष की तरह घर में रहकर क्या करेंगे? (2) रानी कमलावती ने देखा-चारों प्राणी विरक्ति के पथ पर चल पड़े हैं और उनका परित्यक्त धन, राज-भंडार में आ रहा है।
-अध्ययन 14, सू. 29-37
9555555555555555555555555555555555555555555555;he
RENUNCIATION BY THE PRIEST FAMILY
) Watching the sons going away renouncing home, priest Bhrigu said
to his wife Yasha - As a snake casts off the slough of his body, as fishes and swans cut the net and free themselves; in the same way our sons are going free from worldly ties. Now what we will do living in
the house like wingless birds and branchless tree? (2) Queen Kamalavati saw that the four individuals were going on the
path of renunciation and their abandoned wealth was coming to the state treasury.
-Chapter 14, Aphorism 29-37
rce:
055
5 5555555555555555555555