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________________ सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र राजा ने मंत्रियों से विचार-विमर्श किया तो मंत्रियों ने कहा - " मुनि - परित्यक्ता कन्या का विवाह ब्राह्मण के साथ ही किया जा सकता है।" अतः भद्रा का विवाह विप्र रुद्रदेव याज्ञिक के साथ हो गया। [123] द्वादश अध्ययन रुद्रदेव ने अपनी यज्ञशाला की व्यवस्था नवविवाहिता पत्नी राजकुमारी भद्रा को सौंपी और एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। मासोपवासी मुनि हरिकेशबल भिक्षा हेतु भ्रमण करते हुए संयोगवश उसी यज्ञशाला में पहुँचे। आगे की कथा प्रस्तुत अध्ययन की गाथा १२ से ४७ तक प्रतिपादित है । इस अध्ययन में कई ऐसी विशेषताएँ हैं, जो शाश्वत महत्व की हैं; जैसे जाति का कोई महत्व नहीं; शील- सदाचार, तप-त्याग आदि ही महत्वपूर्ण होते हैं। यज्ञ-याग आदि का वास्तविक स्वरूप । वैदिक परम्परा जाति पर आधारित है। जाति-व्यवस्था के आधार पर ही ब्राह्मण सर्वोच्च और पूज्य माने जाते थे; जबकि चांडाल आदि निकृष्टतम । श्रमण (जैन और बौद्ध दोनों) परम्परा जाति का महत्व नहीं मानती, यहाँ सदाचरण और गुणों का महत्व तथा तप-त्याग की विशेषता मानी गई है। प्रस्तुत अध्ययन में मुनि हरिकेशबल ने वैदिक और जैन- दोनों परम्पराओं के समन्वय का प्रयास किया है। प्रस्तुत अध्ययन में पुण्य क्षेत्र, आत्मिक यज्ञ, शील- सदाचार, चारित्र, ब्रह्मचर्य आदि की यथार्थ स्थिति की बड़े ही सम्यक् ढंग से विवेचना करके स्थापना की गई है। ब्राह्मणत्व पर श्रमणत्व की विजय की अनुगूँज प्रसरित हो रही है। प्रस्तुत अध्ययन में ४७ गाथाएँ हैं। 卐
SR No.002494
Book TitleAgam 30 mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages726
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size28 MB
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