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उत्तराध्ययन सूत्र.
अध्यात्म काव्य
उत्तराध्ययन सूत्र का विषय अत्यधिक विशाल, एवं जीवनव्यापी है। यह एक अध्यात्म काव्य है, तो नीति, धर्म, आचार एवं इतिहास का भी महान ग्रन्थ है। कर्मविज्ञान, मनोविज्ञान, जीवविज्ञान, और वनस्पतिविज्ञान आदि अनेक विषयों का सुन्दर युक्तिपूर्ण विवेचन इसमें मिलता है। भगवान महावीर की अन्तिम वाणी के रूप में सम्पूर्ण जैन जगत में इसकी विशिष्ट मान्यता एवं श्रद्धा है। उत्तराध्ययन के नियमित स्वाध्याय पाठ की विशेष परम्परा प्रचलित है।
आचार्य श्री भद्रबाहु ने कहा है- "उत्तराध्ययन सूत्र के स्वाध्याय से ज्ञानावरणीय कर्म की महान कर्म निर्जरा करता हुआ जीव परम सम्बोधि की प्राप्ति करता है, तथा क्रमशः कर्म मुक्त होकर सिद्ध गति निर्वाण पद को भी प्राप्त होता है।"
उत्तराध्ययन के ३६ अध्ययन आत्म-कल्याण के ३६ सोपान हैं।
UTTARADHYAYANA SUTRA
The scope of Uttaradhyayana Sutra is very wide and life-enveloping. Though a spiritual poetic work, it is also a great scripture encompassing a variety of fields including ethics, religion, conduct, and history. It contains lucid and logical analysis on various subjects like science of karma, psychology, biology and botany. In the whole Jain society it is highly venerated and accepted as the last sermon of Bhagavan Mahavir. There is also a tradition of regular study of Uttaradhyayana Sutra in many Jain
sects,
Acharya Bhadrabahu has said"By studying Uttaradhyayana Sutra a soul (living being) achieves enormous shedding of Jnana-varaniya karma (knowledge obscuring karma), gets enlightened and in due course getting free of all karmas attains the Siddha state or liberation."
The thirty six chapters of Uttaradhyayan Sutra are 36 phases of spiritual beatitude.
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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र :
★ श्री उत्तराध्ययन सूत्र भगवान महावीर द्वारा सम्पूर्ण मानव जाति को दिया गया एक ऐसा पवित्र उपदेश है जिसमें विनय, आत्मसंयम, मनोविज्ञान, तत्त्वज्ञान जैसे गम्भीर विषयों की सरल एवं रोचक शैली में व्याख्या की गई है।
★ जो महत्व हिन्दूधर्म में श्रीमद् भगवत गीता, बौद्धधर्म में धम्मपद का है, वही महत्व जैनधर्म में उत्तराध्ययन सूत्र का माना जाता है।
ILLUSTRATED UTTARADHYAYANA SUTRA
A pious sermon given by Bhagavan Mahavir to the whole humanity, Shri Uttaradhyayana Sutra contains elaborations on profound and serious subjects including modesty. self-discipline, psychology and metaphysics in simple and lucid style.
The prominent place Shrimad Bhagavat Gita and Dhammapada occupy in Vedic and Buddhist traditions respectively is believed to be occupied by Uttaradhyayana Sutra in Jain tradition.