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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
दसमं अज्झयणं : दुमपत्तयं दशम अध्ययन : द्रुमपत्रक Chapter-10: THE TREE-LEAF
दशम अध्ययन [ 102]
दुमपत्तए पंडुयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम! मा पमायए ॥ १ ॥
जिस प्रकार रात्रियाँ (समय) बीत जाने पर वृक्ष का पका हुआ पत्ता झड़ जाता है । उसी प्रकार मनुष्य का जीवन है। इसलिये हे गौतम! क्षण मात्र भी प्रमाद मत करो ॥ १ ॥
With passing of nights (time) the mature pale leaf of a tree gets shed; same is the fate of human life. Therefore, Gautam! Do not be negligent (in stupor or pramaad) even for a moment. (1)
कुसग्गे जह ओसबिन्दुए, थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए ।. एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ २ ॥
कुश (घास) के अग्र भाग ( नोंक) पर चमकते हुये ओस - बिन्दु के समान यह मानव-जीवन क्षणिक् है। अतः हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥ २ ॥
This human life is ephemeral like a shining dew-drop on the tip of grass. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (2)
इइ इत्तरियम्मि आउए, जीवियए बहुपच्चवायए । विहुणाहि रयं पुरे कडं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३ ॥
यह अल्पकालीन मनुष्य आयु भी बहुत से विघ्नों से भरी है और इसी में सम्पूर्ण कर्म - रज को झाड़ देना है। इसलिए हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥ ३ ॥
This short human life-span is filled with many impediments and this is all the time we have to shed the dust of karmas. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (3)
दुल्हे खलु माणुसे भवे, चिरकालेण वि सव्वपाणिणं ।
गाढा विवाग कम्णो, समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ४ ॥
संसार के समस्त प्राणियों को चिरकाल से ही मनुष्य जन्म की प्राप्ति बहुत दुर्लभ रही है और कर्मों का विपाक अत्यन्त सुदृढ़ तथा तीव्र है। इस कारण हे गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥ ४ ॥
For all (classes of) living beings the chance of human rebirth has been rare since time immemorial and the fruition of karmas is very strong and intense. Therefore, Gautam! Be not negligent even for a moment. (4)