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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
सत्तमं अज्झयणं : उरब्भिज्जं सप्तम अध्ययन : उरभ्रीय Chapter-7 : ABOUT LAMB
जहाएसं समुद्दिस्स, कोइ पोसेज्ज एलयं । ओयणं जवसं देज्जा, पोसेज्जा वि सयंगणे ॥ १ ॥
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जिस प्रकार कोई पुरुष संभावित अतिथि का लक्ष्य रखकर मेमने (भेड़ का बच्चा) का पोषण करता है। चावल, जौ, हरी घास आदि देता - खिलाता है और अपने आँगन में ही रखकर उसका पोषण करता है॥ १ ॥
(Like) Some person nurtures a lamb keeping in mind the possibility of providing for a guest in future. He gives it rice, barley, green grass and other feed and nourishes it keep in his yard. (1)
तओ से पुट्ठे परिवूढे, जायमेए महोदरे ।
पीणिए विउले देहे, आएसं परिकंखए ॥ २ ॥
सप्तम अध्ययन [ 68 ]
तब वह मेमना (अच्छा खाने-पीने से ) पुष्ट, बलशाली और स्थूल उदर वाला हो जाता है। अब वह माँसल शरीर वाला तथा तृप्त मेमना अतिथि के आगमन की प्रतीक्षा करता है ॥ २ ॥
Then that lamb (due to nourishment) becomes healthy, strong and paunchy. Now that well fed lamb with fleshy body awaits the coming of a guest. (2)
जाव न एइ आएसे, ताव जीवइ से दुही ।
अह पत्तंमि आएसे, सीसं छेत्तूण भुज्जई ॥ ३ ॥
जब तक अतिथि (मेहमान) का आगमन नहीं होता तब तक वह मेमना जीवित रहता है और अतिथि के आने पर उसका सिर काटकर उसे भक्षण कर लिया जाता है ॥ ३ ॥
As long as a guest does not arrive the lamb lives and once a guest arrives it is beheaded and eaten up. (3)
जहा खलु से उरब्भे, आएसाए समीहिए ।
एवं बाले अहम्मिट्ठे, ईहई नरयाउयं ॥ ४॥
अतिथि के हेतु कल्पित किया गया वह मेमना, जिस प्रकार उस अतिथि की प्रतीक्षा करता है उसी प्रकार अज्ञानी - अधर्म में लीन जीव भी नरक आयु की (अनजाने ही) आकांक्षा-प्रतीक्षा करता है॥ ४ ॥
Like the lamb reserved for a guest waits the guest, in the same way an ignorant living being indulging in sinful activities also (involuntarily) waits for infernal life. (4)