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९. [प्र.] संखेज्जेसु णं भंते ! वाणमंतरावाससयसहस्सेसु एगसमएणं केवइया वाणमंतरा है। । उववज्जंति ? ___[उ.] एवं जहा असुरकुमाराणं संखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा तहेव भाणियव्वा वाणमंतराण वि तिण्णि गमगा।
९. [प्र.] भगवन्! वाणव्यन्तर देवों के संख्यात योजन विस्तार वाले (असंख्यात लाख) ॐ आवासों में एक समय में कितने वाणव्यन्तर देव उत्पन्न होते हैं।
[उ.] (गौतम!) जिस प्रकार असुरकुमार देवों के संख्यात योजन विस्तार वाले आवासों के के विषय में तीन आलापक (उत्पत्ति, उद्वर्त्तन और सत्ता) कहे गए हैं, उसी प्रकार वाणव्यन्तर देवों 卐 के विषय में भी तीनों आलापक कहने चाहिए।
9.[Q.] Bhante! In one Samay (indivisible fractional unit of time) how many Vaanavyantar devs are born in (innumerable) divine abodes of 4 Vaanavyantar devs, having limited expanse (countable Yojan area)?
[Ans.] (Gautam !) On the same pattern like the three statements (about origin, rise and existence) mentioned with regard to Asur-kumar devs, 5 repeat three statements for Vaanavyantar devs too.
विवेचन-वाणव्यन्तर देवों के आवास केवल संख्यात योजन विस्तार वाले ही होते हैं। उनका ॐ परिमाण निम्न गाथा के आधार पर कहा गया है
जंबूद्वीप समा खलु उक्कोसेणं हवंति ते नगरा।
खुड्डा खेत्तसमा खलु विदेह समगा उ मज्झिमगा॥ वाणव्यन्तर देवों के सबसे छोटे आवास भरतक्षेत्र के बराबर होते हैं, मध्यम आवास महाविदेह के के समान होते हैं और सबसे बड़े आवास जम्बूद्वीप के समान होते हैं।
Elaboration-Divine abodes of Vaanavyantar devs have only limited expanse (countable Yojan area). Their dimensions as mentioned in the verse are—The smallest abodes of Vaanavyantar devs are equivalent to Bharat area; the medium are equivalent to Mahavideh area and the largest are equivalent to Jambu continent.
॥4॥555555555555555
ज्योतिष्क देवों से सम्बन्धित प्रश्न QUESTIONS ABOUT JYOTISHK DEVS
१०. [प्र.] केवइया णं भंते ! जोइसिय विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता ? [उ.] गोयमा ! असंखेज्जा जोइसिय विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता।
सफफफफफ
तेरहवाँशतक :द्वितीय उद्देशक
(489) Thirteenth Shatak : Second Lesson 555555555555 55555