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________________ 8 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 955555559595959595959595959595 8 फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफा TRAYODASH SHATAK (CHAPTER THIRTEEN) प्राथमिक INTRODUCTION तेरसमं सयं : तेरहवाँ शतक व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र के तेरहवें शतक में कुल 10 उद्देशक हैं। पहले उद्देशक में रत्नप्रभादि सात नरक - पृथ्वियों का तथा इन पृथ्वियों के विस्तृत संख्यात एवं असंख्यात नरकावासों में रहने वाले नैरयिक जीवों की उत्पत्ति, उद्वर्त्तना और सत्तादि का फ वर्णन विभिन्न प्रश्नोत्तरों के माध्यम किया गया है। दूसरे उद्देशक में चार प्रकार के देवों, उनके आवासों अथवा विमानों की संख्या एवं उनके विस्तार तथा उनकी विविध विश्लेषण, विशिष्ट उत्पत्ति, उद्वर्त्तना और सत्तादि की प्ररूपणा की गई है। तीसरे उद्देशक में नैरयिक जीवों के अनन्तराहारादि की प्ररूपणा की गई है। चौथे उद्देशक में सात नरक पृथ्वियों की संख्या, उनकी लम्बाई-चौड़ाई, दिशा - विदिशा, लोक एवं पंचास्तिकाय का स्वरूप आदि का निरूपण तेरह द्वारों के माध्यम से किया गया है। पाँचवें उद्देशक में नैरयिकों आदि के आहार की प्ररूपणा की गई है। छठे उद्देशक में 24 दंडकों में उत्पत्ति - उद्वर्त्तना सम्बन्धी सांतर - निरंतर की प्ररूपणा, चमरचंच आवास का वर्णन और उदयन राजा के जीवन का संक्षिप्त चित्रण प्रस्तुत किया गया है। सातवें उद्देशक में भाषा, मन, काय, मरणादि के स्वरूप एवं उनके भेदों का कथन किया गया है। आठवें उद्देशक में कर्म प्रकृतियों के भेदों-प्रभेदों का निरूपण किया गया है। नौवें उद्देशक में, वैक्रिय लब्धि द्वारा रस्सी से बंधी घटिका, स्वर्णादि मंजूषा, लोहादि भार, चक्र-रत्नादि को हाथ में लेकर तथा चमचेड़ - यज्ञोपवित, मृणालिकादि का रूप बनाकर भावितात्मा अनगार द्वारा आकाशगमन का वर्णन किया गया है। दसवें उद्देशक में छाद्मस्थिक समुद्घात का प्रतिपादन किया गया है। The thirteenth chapter (shatak) of Vyakhyaprajnapti Sutra (Bhagavati Sutra) contains ten lessons ( uddeshak) briefly stated as follows. तेरहवाँ शतक : प्रथम उद्देशक (449) 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 8 Thirteenth Shatak: First Lesson 卐 फफफफफफफफफफ
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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