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१५. [प्र.] भगवन्! देवाधिदेवों के विषय में पूर्ववत् प्रश्न। (उनकी स्थिति कितने काल की फ़ की है?)
[उ.] गौतम! (उनकी स्थिति) जघन्य से बहत्तर वर्ष और उत्कृष्ट से चौरासी लाख पूर्व की है।
15. [Q.) Bhante ! The same question about Devadhidevs (What is said to be the life-span of Devadhidevs)?
[Ans.] Gautam ! (Their life-span) is a minimum of seventy two years and a maximum of 8.4 million Purvas.
१६. [प्र.] भावदेवाणं भन्ते ! पुच्छा। [उ.] गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। १६. [प्र.] भगवन्! भावदेवों के विषय में पूर्ववत् प्रश्न। (उनकी स्थिति कितने काल की
. [उ.] गौतम! (भावदेवों की) जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट स्थिति तैंतीस ॥ सागरोपम की है।
16. [Q.] Bhante ! The same question about Bhaavadevs (What is said ॐ to be the life-span of Bhaavadevs) ?
[Ans.] Gautam ! (Their life-span) is a minimum of ten thousand years 5 and a maximum of thirty three Sagaropam (a metaphoric unit of time).
विवेचन-प्रस्तुत १२ से १६ तक के सूत्रों में पूर्वोक्त पाँच प्रकार के देवों की जघन्य और 5 उत्कृष्ट स्थिति का निरूपण किया गया है। ___ . भव्य-द्रव्यदेव की स्थिति-अन्तर्मुहूर्त आयुष्य वाले पञ्चेन्द्रिय-तिर्यञ्च, देवों में उत्पन्न होते हैं, इसलिए भव्यद्रव्य देव की जघन्य स्थिति अन्तर्महर्त्त की बताई गई है। जबकि तीन पल्योपम की स्थिति वाले देवकर और उत्तरकर के मनष्य एवं तिर्यञ्च भी देवों में उत्पन्न होते हैं. इसी कारण भव्य-द्रव्यदेव की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की कही गई है।
नरदेव (चक्रवर्ती) की स्थिति-नरदेव (चक्रवर्ती) की जघन्य स्थिति ७०० वर्ष की होती है, ॐ जैसा कि ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की थी तथा उत्कृष्ट स्थिति ८४ लाख पूर्व की होती है, जैसे भरत-चक्रवर्ती 5 की उत्कृष्ट आयु ८४ लाख वर्ष की थी। 卐 धर्मदेव की स्थिति-जो मनुष्य अन्तर्मुहूर्त आयु शेष रहते ही चारित्र (महाव्रत) स्वीकार करता
है, उस अपेक्षा से धर्मदेव (साधु-साध्वी) की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की कही गई है तथा कोई पूर्व
| बारहवाँशतक : नौवाँ उद्देशक
(393) Twelfth Shatak : Ninth Lesson | 5555555555555555555555555555555555