________________
5555555555555555555555555555555555555
[Ans.] Shraman Bhagavan Mahavir says—(Yes, Gautam ! They get i born as infernal beings) this is because that which is in process of being born can be called as born.
६. [प्र. ] अह भंते ! सीहे वग्घे जहा ओसप्पिणिउद्देसए (स. ७ उ. ६) जाव परस्सरे एए णं निस्सीला.।
[उ.] एवं चेव जाव वत्तव्वं सिया।
६. [प्र.] भगवन् ! सिंह, व्याघ्रादि (जीवों के बारे में) जैसा अवसर्पिणी उद्देशक (श. ७, के उ. ६) में कहा है, यदि ये सभी शीलरहित (इत्यादि हों तो क्या) पूर्वोक्तरूप में (नैरयिक रूप में) म उत्पन्न होते हैं?
- [उ.] हाँ गौतम! उत्पन्न होते हैं, यावत् उत्पन्न होता हुआ 'उत्पन्न हुआ' ऐसा कहा जा + सकता है।
6. [Q.] Bhante !About lion, tiger and other such animals; as mentioned in Avasarpini Uddeshak (Ch.-7, le.-6); if they all are devoid of morality etc. then do they get born (as infernal beings) as aforesaid ?
[Ans.] (Yes, Gautam ! They get born as infernal beings-) this is because that which is in process of being born can be called as born.
७. [प्र. ] अह भंते! ढंके कंके विलए मदुए सिखी, एए णं निस्सीला.। [उ.] सेसं तं चेव जाव वत्तव्वं सिया। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ।
॥ बारसमे सए : अट्ठमो उद्देसओ समत्तो॥ ७. [प्र.] भगवन्! (यदि) ढंक (कौआ) कंक (गिद्ध) बिलक, मेंढक और मोर-ये सभी शील रहित इत्यादि हों तो (क्या) पूर्वोक्त रूप (नैरयिक रूप में) उत्पन्न होते हैं?
[उ.] हाँ, गौतम! उत्पन्न होते हैं। शेष सब कथन यावत् (पूर्ववत्) कहा जा सकता है।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, ऐसा कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरण करते हैं।
॥ बारहवाँ शतक : अष्टम उद्देशक सम्पूर्ण॥
बारहवाँशतक: अष्टम उद्देशक
(379) Twelfth Shatak : Eigth Lesson &5555555555