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in case of all soul/living beings because that is a general statement for all beings.
ॐ एकत्व की अपेक्षा से चौबीस दण्डकों में अतीतादि सात प्रकार के पुद्गल परिवर्तनों की प्ररूपणा SEVEN TYPES OF TRANSFORMATIONS IN SINGULAR CONTEXT
२८-१. [प्र.] एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया ओरालियपोग्गलपरियट्टा 卐 अतीया? ____ [उ.] नत्थि एक्को वि।
२८-१. [प्र.] भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक जीव के, नैरयिक अवस्था में अतीत (भूतकालीन) औदारिक पुद्गल परिवर्तन कितने हुए हैं?
[उ.] गौतम! एक भी नहीं हुआ।
28-1. [Q.] Bhante!How many gross physical material transformations (Audarik pudgal parivartya) have taken place in the past of each infernal soul/living being in infernal state?
[Ans.] Gautam ! Not even one. २८-२. [प्र.] केवइया पुरेक्खडा? [उ.] नत्थि एक्को वि। २८-२. [प्र.] भगवन्! भविष्य काल में (औदारिक पुद्गल-परिवर्तन) कितने होंगे? [उ.] गौतम! एक भी नहीं होगा।
28-2. [Q.] Bhante!How many (gross physical material transformations) will take place in the future ?
[Ans.] Gautam ! Not even one.
२९-१. [प्र.] एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवइया औरालियपोग्गलपरियट्टा.?
[उ.] एवं चेव।
२९-१. [प्र.] भगवन्! प्रत्येक नैरयिक जीव के, असुरकुमार रूप में अतीत औदारिक पुद्गलपरिवर्तन कितने हुए हैं?
[उ.] गौतम! इसी प्रकार (पूर्वोक्तव्यतानुसार) जानना चाहिए।
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| भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4) 859555555555555555555555555555554