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प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। इस प्रकार यावत् - अथवा एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध तथा एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं अथवा तीन संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
चार विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु- पुद्गल और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर अलग-अलग दो परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर भिन्न-भिन्न दो परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध होता है। इस प्रकार यावत्- अथवा एक ओर दो अलग-अलग परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु- पुद्गल और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं अथवा एक ओर एक परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। यावत्— अथवा एक ओर एक परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध तथा एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं अथवा एक ओर एक परमाणु- पुद्गल और एक
ओर तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। इस प्रकार यावत् - एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध
होता है और एक और तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं अथवा चारों संख्यात प्रदेशी स्कन्ध
होते हैं।
इसी तरह इसी क्रम से पंचसंयोगी विकल्प भी कहते हुए यावत् नव-संयोगी विकल्प तक कहना चाहिए ।
अब दस विभाग किये जाने पर - एक ओर अलग-अलग नौ परमाणु- पुद्गल और एक ओर संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर भिन्न-भिन्न आठ परमाणु- पुद्गल, एक ओर
एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध होता है। इसी क्रम से एक-एक
एक
की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ाते जाना चाहिए, यावत् अथवा एक ओर एक दस प्रदेशी स्कन्ध और एक
ओर नौ संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं, अथवा दस संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
इसके बाद उसके संख्यात विभाग किये जाएँ तो पृथक्-पृथक् संख्यात परमाणु-पुद्गल होते हैं।
11. [Q.] Bhante! What happens when countable (sankhyat) paramanu-pudgals (ultimate particles of matter or ultrons) come together and combine ?
[Ans.] Gautam ! They combine to form a countable-sectional aggregate (skandh). If it is broken, it divides into two, three, four... and so on up to... ten and then countable (sankhyat) parts.
बारहवाँ
शतक : चतुर्थ उद्देशक
(287)
Twelfth Shatak: Fourth Lesson
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