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अनुक्रमणिका
31-42
89115455555555555555555555555555555555555
दशम शतक : प्रथम उद्देशक :
दशम शतक : चतुर्थ उद्देशक : दिशाएँ
1-11 श्यामहस्ती प्राथमिक
1 उपोद्घात दसवें शतक की संग्रहणी गाथा
1 चमरेन्द्र के त्रायस्त्रिंशक देव : सम्बन्धी प्रश्न 32 दिशाओं का स्वरूप
2 बलीन्द्र के त्रायस्त्रिंशक देव दिशाओं के दस प्रकार
3 धरणेन्द्र आदि के त्रायस्त्रिंशक देव दस दिशाओं के नाम
4 शक्रेन्द्र से अच्युतेन्द्र तक के त्रायस्त्रिंशक देव 38 जीव-अजीव सम्बन्धी कथन
दशम शतक : पंचम उद्देशक : शरीर के भेद-प्रभेद तथा सम्बन्धित कथन 10
देवी (अग्रमहिषी वर्णन) दशम शतक : द्वितीय उद्देशक :
उपोद्घात संवृत अनगार
12-20
अपनी सुधर्मा सभा में चमरेन्द्र की संवृत अनगार को लगने वाली क्रिया 12 (मैथुन-निमित्तक) भोग की असमर्थता योनियों के भेद-प्रकार एवं स्वरूप 14 लोकपालों का देवी-परिवार वेदना : प्रकार एवं स्वरूप
15 बलीन्द्र लोकपालों का देवी-परिवार मासिक भिक्षुप्रतिमा की आराधना 17 धरणेन्द्र लोकपालों का देवी-परिवार अकृत्यसेवी भिक्षु
___ 18 भूतानन्दादि लोकपालों का देवी-परिवार
व्यन्तर देवेन्द्रों के देवी-परिवार दशम शतक : तृतीय उद्देशक : आत्मऋद्धि
चन्द्र-सूर्य-ग्रहों के देवी-परिवार 21-30
शक्रेन्द्र तथा लोकपालों का देवी-परिवार उपोद्घात
ईशानेन्द्र तथा उसके लोकपालों का देवी-परिवार 63 देवों की उल्लंघनशक्ति देवों के मध्य में से होकर गमन सामर्थ्य 22
दशम शतक : छठा उद्देशक : देव-देवियों का एक-दूसरे के मध्य में
सभा (शक्रेन्द्र की सुधर्मा सभा) 65-66 से होकर गमन सामर्थ्य
26 शक्रेन्द्र की सुधर्मा सभा दौड़ते हुए अश्व के 'खु-खु' शब्द का भेद 29
दशम शतक : सातवें से चौंतीसवें उद्देशक तक: प्रज्ञापनी भाषा : मृषा नहीं
उत्तरवर्ती (अट्ठाईस) अन्दीप 67-68
21
29
(13)