________________
ज्ञान
मन से
दर्शन
नन्द मणिकार
"दुव्विचितिओ
इतनी सुन्दर बावड़ी' मेरे अलावा कोई नहीं बना सकता।
चारित्र
वचन से
संभूति मुनि का निदान
2
श्रुत धर्म
अकष्पो
अगर मैंने अकरणीय आचरण किया हो तो......
(सामायिक
अगर मैंने दुश्चिंतन किया हो तो.......
अगर इनमें कोई अतिचार लगा हो तो.......
काया से
नृताभाविक
संक्षिप्त प्रतिक्रमण सूत्र
जमालि अणगार की मिथ्या प्ररूपणा.
अगर मैंने सूत्र विरुद्ध कुछ किया हो तो......
अकरणिज्जो
अणायारो
उस्सुत्तो
अगर मैंने नहीं आचरने योग्य कार्य किया हो तो......
साध्वी सुभद्रा
अगर मैंने न करने योग्य कार्य किया हो तो......
अणिच्छियत्वो
आर्या लक्ष्मणा
リリ
चित्र संख्या 6
गौशालक का मिथ्या मार्ग
अगर मैंने-साधु वृत्ति-से-विपरीतइच्छा की हो
सब कुछ नियति ने पूर्व निर्धारित किया हुआ है।
उम्मग्गो
अगर मैंने जिनमार्ग के विरुद्ध
कुछ कहा हो तो
अगर मैंने दुर्ध्यान किया हो तो.....
सात पिण्डैषणा
छह जीव निकाय
पाँच महाव्रत
दुज्झाओ
कुण्डरीक
आठ
प्रवचन
माता
नव
ब्रह्मचर्य
बाड़
दस
श्रमण
धर्म
उपरोक्त में से किसी प्रकार का खंडन या विराधना की हो तो तस्समिच्छामि दुक्कर्ड ।