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ಈಚೆಗಣಿಣಗಣಿಗಳಾಗಿಣಿ, ಗಣೇಶಗಳಲ್ಲಿ
नित्यप्रति चार 'लोगस्स' का ध्यान करें, फिर ‘णमो अरिहंताणं' पढ़कर एक 'लोगस्स उज्जोयगरे' का पाठ और दो बार 'इच्छामि खमासमणो' का पाठ पढ़कर फिर 'तिक्खुत्तो' के पाठ से वंदना-नमस्कार करके यथाशक्ति प्रत्याख्यान करें। यदि गुरु प्रत्याख्यान आप करवाएं तो 'वोसिरामि' आप कह लेवे फिर पूर्व विधिपूर्वक दो 'नमोत्थुणं' के पाठ को पढ़ें। शेष समस्त समय धर्म-ध्यान में व्यतीत करें।
जब सामायिक पूर्ण हो गई जान ले, तब ‘इच्छाकारेण' इत्यादि सूत्र पढ़कर 'तस्सोत्तरी करणेणं' के पाठ को पढ़ें। तत्पश्चात् एक 'लोगस्स उज्जोयगरे' का ध्यान करें, 'नमो अरिहंताणं' ऐसे कहकर ध्यान पारें। एक 'लोगस्स उज्जोयगरे' के पाठ को उच्च स्वर से पढ़ें, फिर पूर्ववत्
दो 'नमोत्थुणं' पढ़कर 'नवमा सामायिक व्रत' करते हुए इस सूत्र को पढ़ें। ___ इतने सूत्रों के पठन करने से सामायिक की विधि पूर्ण होती है। फिर चतुर्दश नियम धारण
करें, जिनके करने से महान कर्मों का आस्रव निरोध होता है और आस्रवों का सर्वथा निरोध हो जाने पर जीव मोक्षाधिकारी बन जाता है।
(जैन धर्म दिवाकर पज्य आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी महाराज द्वारा व्याख्यायित श्री आवश्यक . सूत्रम् से साभार।)
Procedure: Select a suitable quite place. Spread the cloth. Sit on it and pay obeisance to Seemandhar Swami or to the spiritual master who is present by reciting the lesson of 'Tikhutto' three times. Thereafter seek permission to recite 'Chauvisatva'
Then recite the lesson of ‘arihanto mahedevo’ ‘Ichhakaran' and 'Tuss-uttari' and in meditation once 'loguss' (the hymn in praise of 24 Tirthankars). Thereafter uttering 'namo arihantanum' once, conclude the meditation. Then recite complete loguss lesson loudly.
Thereafter keeping left knee lifted and right knee touching the ground, recite lesson of 'Namothunum' twice. The first lesson is obeisance to Sidhas (liberated souls) and second is obeisance to arihantas.
Then paying obeisance through lesson of “Tikhutto' get the permission for doing pratikraman. After that recite lessons of 'Avassehi Ichhakaran' 'Namokar Mantra' 'Karemi Bhante Samaiyum' 'Ichhami Thami' and 'Tuss-uttari'. Then in state of meditation mentally go through 99 atichars and the lesson of 'Ichhami aloiyum' after saying 'Jo may devasi aiyaro ko' (Whatsever faults I have committed doing the day) say Chintavan in case of devasi pratrikraman in state of meditation and in case of pratikraman of faults committed during the night, the meditation be concluded by reciting 'Namo arihantanum'.
श्रावक आवश्यक सूत्र
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