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of fragrance for the mouth. In this resolve nine exceptions are allowed. They are: 1. Anabhog, 2. Sahasakar, 3. Lepalep, 4. Grihasth Samsrisht, 5. Utkshipt Vivek, 6. Prateetya prakshet, 7. Parishthapanikar, 8. Mahattarakar and 9. Sarv Samadhi Pratyayakar.
संकेत : प्रस्तुत "एकासन युक्त विगय प्रत्याख्यान" में दिन में एक बार एक ही आसन पर स्थिर होकर विगय रहित आहार का उपयोग किया जाता है। सूत्र में आए हुए आगारों का अर्थ पूर्व प्रत्याख्यानों में किया जा चुका है।
Indication: In this pratyakhan food is taken only once in the day and that also sitting still at one place. The meaning of nine exception has already been explained earlier.
एकासन प्रत्याख्यान सूत्र उग्गयसूरे एगासणं पच्चक्खामि, तिविहंपि आहारं असणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागारियागारेणं, आउट्टणपसारेणं, गुरुअब्भुट्ठाणेणं, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि॥
भावार्थ : सूर्य उदय से लेकर एकासन तप अंगीकार करता हूं। उसके लिए अशन, खादिम एवं स्वादिम रूप त्रिविध आहार का त्याग करता हूं। अनाभोग, सहसाकार, सागारिकाकार, आकुञ्चन-प्रसारण, गुर्वभ्युत्थान, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार एवं सर्वसमाधिप्रत्ययाकार-इन आठ आगारों के सिवाय आहार का त्याग करता हूं। __Exposition: I accept ekasan austerity from sunrise. So, I detach myself from three types of articles of consumption namely food, dry food and articles of fragrance for mouth. In it there are eight exceptions namely thing consumed in absence of recollection of the resolve (anabhog), an article suddenly dropping in the mouth (Sahasakar), Sagarikakar (moving to another place while consuming the thing as a householder comes there) aakuncham prasaram (moving hand and feet during consumption), guruabhyutham (getting up as a mark of respect when senior monks come there) Paarishthapanikakar, Mahattarakar (bowing when so directed by the guru) and Sarva Samadhi Pratyayakar. (Keeping oneself in state of equanimity)
विवेचन : एकासन को एकाशन भी कहा जाता है। एकासन का अर्थ है-एक आसन पर स्थिर रहकर भोजन करना। एकाशन का अर्थ है-दिन में एक ही बार भोजन करना। अर्थ की दृष्टि से दोनों शब्द सार्थक एवं अपने अभिधेय को स्पष्ट करने वाले हैं। .
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षष्ठ अध्ययन : प्रत्याख्यान
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Avashyak Sutra