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इस प्रत्याख्यान के नौ आगार हैं। इनमें से (1) अनाभोग, (2) सहसाकार, (3) महत्तराकार एवं (4) सर्वसमाधिप्रत्ययाकार, इन आगारों का अर्थ पूर्व सूत्रों में किया जा चुका है। शेष आगारों का अर्थ इस प्रकार है
लेपालेप-लेप और अलेप इन दो शब्दों के योग से बने लेपालेप शब्द का अर्थ है - पहले घृत आदि से लिप्त पदार्थ को बाद में पोंछकर लेप रहित कर देना । पोंछ देने पर भी घृत आदि का कुछ अंश शेष रह ही जाता है । ऐसा लेपालेप आहार विकृति के त्यागी साधु के लिए लेना दोषप्रद नहीं है।
गृहस्थ-संसृष्ट- चिकनाई युक्त पात्र में रुखा आहार डालकर देने से उस आहार पर चिकनाई का कुछ अंश लग जाता है। ऐसा अति अल्प चिकनाई के स्पर्श वाला आहार विगय के प्रत्याख्यानी साधक के लिए ग्राह्य है।
उत्क्षिप्त-विवेक - गुड-शक्कर आदि विकृति वाले पदार्थों पर रखी गई शुष्क रोटी, विवेक पूर्वक उक्त पदार्थों पर से उठाकर अलग करके, विकृति का प्रत्याख्यानी साधक ग्रहण कर सकता है। परन्तु ऐसा आपवादिक स्थिति में ही होना चाहिए, नियमित नहीं।
प्रतीत्यप्रक्षित-स्वल्प चुपड़ी हुई रोटी आदि पदार्थ विगय के प्रत्याख्यानी साधक लिए अपवाद स्थिति में ग्राह्य हैं।
पारिष्ठापनिक - लाया हुआ विगय संपन्न आहार सभी साधुओं को बांट देने पर भी शेष बच जाए तो वह पारिष्ठापनिक कहलाता है । विगय का प्रत्याख्यानी साधु गुरु के कहने पर उक्त आहार को खा सकता है। इससे गुरु की आज्ञा का पालन तो होता ही है, साथ ही आहार के परठने से होने वाली संभावित हिंसा से भी रक्षा होती है।
Explanation: The articles such as milk, curd, ghee, brown sugar, oil and the like are called Vigaya or Vikriti or they are considered to he generating bad reflections in the mind.
A practitioner consumes articles for spiritual health and not for taste or physical strength. Regular consumption of milk, ghee and the like increases physical strength. Many times it disturbs observing the rule of celibacy. So, it is essential for practitioner of spirituality that he should control the sensitivity of his mind, body and taste by occasionally dropping vikritis from his articles of consumption.
There are nine digressions which are permitted in this pratyakhyan. Out of them the meaning of 1. Anabhog, 2. Sahsakar, 3. Mehattarakar, 4. Sarv Samadhi Pratyakar has been given earlier. The meaning of other exceptions are as under:
Avashyak Sutra
षष्ठ अध्ययन : प्रत्याख्यान
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