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सामूहिक वन्दना
अनंत चौबीसी ते नमो, सिद्ध अनंता को । केवल - ज्ञानी स्थविर सभी, वन्दौं बे कर जोड़ ॥1॥ दो कोड़ी केवल - धरा, विहरमान जिन बीस, सहस्त्र युगल कोड़ी नमो, साधु वंदौं निसदीस ॥2॥
श्री साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविकायें, चार गति, चौबीस दंडक, चौरासी लाख जीव-योनि के साथ मैं खमाउं बार-बार तथा म्हारे जीवे कोई जीव नी विराधना करी हो, कराई हो, करता प्रति अनुमोद्या हो तो एक-एक जीव के साथ अठारह लाख, चौबीस हजार, एक सौ बीस मिच्छा मि दुक्कडं ।
अथवा
. सात लाख पृथिवीकाय, सात लाख अप्काय, सात लाख तेउकाय, सात लाख वायुकाय, दस लाख प्रत्येक वनस्पतिकाय, चौदह लाख साधारण वनस्पतिकाय, दो लाख बेन्द्रिय, दो लाख न्द्रिय, दो लाख चतुरिन्द्रिय, चार लाख देव, चार लाख नारकी, चार लाख तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय, चौदह लाख मनुष्य, एवं चौरासी लाख जीव - योनि में से यदि मैंने कोई जीव हनन किया हो, अन्य को मारने का उपदेश दिया हो, व हनन कर्त्ताओं की अनुमोदना की हो, वे सब मन, वचन, काय करके 18 लाख, 24 हजार, 1 सौ बीस प्रकारे तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
I bow to infinite galaxy of twenty four Tirthankar. I bow to infinite Sadhus. I bow to all omniscents and all learned monks (Sthavirs) I bow to 20 million omniscents and 20 Viharman Tirthankar. I bow to them thousand times with folded hands. I bow to monks day and night.
I beg pardon repeatedly from monks, nuns, shravaks, (lay male devotees), lay female devotees (Shravikas), all the living beings in four states of existence, in twenty four divisions (dandaks), generating from 84 lac places of generation. In case I have caused hurt, got caused or appreciated one who caused hurt to any living beings, I feel sorry for it 1824120 times.
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There are seven lac types of earth-bodied living beings, seven lac of waterbodied, seven lac of fire bodied. Seven lac of air-bodied, ten lac of vegetable-bodied being having countable seeds in them and fourteen lac of vegetable-bodied beings with numberless beings in them, two lacs types of two sensed living beings, two lac
IVth Chp. : Pratikraman
आवश्यक सूत्र
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