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seventeen types of ascetic discipline. They practice twelve types of austerities. They provide protection to six types of living beings. They look into safety of six types of beings. They do not accept invitation from householders. They do not dine at the house of householder. They seek alms like a bumble bee. They accept cloth, pot, food and place of stay (Sthanak) only that one which is free from fault. They obey the word of the lord as mentioned in scriptures. They possess numerous qualities. I bow to such great men.
गुरु-वन्दना
जैसे कपड़ा को थान, दरजी वेतत आण, खण्ड-खण्ड करे जाण, देत सो सुधारी है। काठ के ज्यूं सूत्रधार, हेम को कसे सुनार, माटी के ज्यूं कुंभकार, पात्र करे त्यारी है। धरती को किसान, लोहे को लुहार जाण, शिलावट शिला आण, घाट घड़े भारी है। कहत है तिलोक रिख, सुधारे ज्यूं गुरु शिष्य, गुरु उपकारी नित, लीजे बलिहारी है ॥
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गुरु मित्र गुरु मात, गुरु सगा गुरु तात, गुरु भूप गुरु भ्रात, गुरु हितकारी है। गुरु रवि गुरु चन्द्र, गुरु पति गुरु इन्द्र, गुरु देत आनन्द, गुरु पद भारी है। गुरु देत ज्ञान-ध्यान, गुरु देत दान - मान, गुरु देत मोक्ष स्थान, सदा उपकारी है। कहत है तिलोक रिख, भली भली देवें सीख, पल-पल गुरु जी को, वन्दना हमारी है।
गुरु वंदन : जैसे एक दर्जी कपड़े के थान से काट-छांटकर योग्य वस्त्र तैयार कर लेता है, बढ़ई लकड़ी को सुधार लेता है, स्वर्णकार सोने की परीक्षा कर शुद्ध कर लेता है, कुंभकार
IVth Chp. : Pratikraman
आवश्यक सूत्र
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