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___ (1-5) अहिंसा आदि पांच महाव्रतों की सम्यक् आराधना करना, (6-10) पांच इन्द्रियों का निग्रह करना, (11-14) चार कषायों का त्याग करना, (15) भाव सत्य (वैचारिक शुद्धि), (16) करण सत्य (भण्डोपकरणों की उपयोगपूर्वक प्रतिलेखना करना), (17) योग सत्य (मन-वचन-काय को सत्य में स्थापित करना), (18) क्षमा, (19) विरागता, (20) मनः समाहरणता (मन की अशुभ व्यापार से निवृत्ति), (21) वचन समाहरणता (वचन की अशुभ व्यापार के निवृत्ति), (22) काय समाहरणता (शरीर की अशुभ व्यापार से निवृत्ति), (23) ज्ञान सम्पन्नता, (24) दर्शन संपन्नता, (25) चारित्र संपन्नता, (26) वेदनाध्यासनता (उपसर्गों
और परीषहों से उत्पन्न वेदना को समभावपूर्वक सहना), एवं (27) मारणान्तिकाध्यासनता (मारणान्तिक कष्ट आने पर एवं मृत्यु का अवसर उपस्थित होने पर भी समताभाव में लीन रहना।)
आचार प्रकल्प प्रतिक्रमण : आचार के स्वरूप एवं आचार में उत्पन्न दोषों की निवृत्ति तथा आत्मशुद्धि की विधियां जिस आगम में प्रतिपादित हों उसे आचार प्रकल्प कहा जाता है। प्रस्तुत संदर्भ में 'आचार' शब्द से प्रथम अंगागम आचारांग सूत्र का ग्रहण हुआ है। 'प्रकल्प' शब्द से आचारांग सूत्र के चूलिका निशीथ सूत्र का ग्रहण हुआ है। आचारांग सूत्र के 25 अध्ययनों एवं निशीथ सूत्र के तीन अध्ययनों में श्रमणाचार के विधि-निषेधों तथा आत्मशुद्धि के हेतुभूत प्रायश्चित्त के विधि-विधानों का विशद वर्णन हुआ है। इन 28 अध्ययनों में वर्णित आचार के विपरीत यदि श्रद्धा, आचरण एवं प्ररूपणा में कोई अतिचार लगता है तो 'आचार प्रकल्प प्रतिक्रमण' द्वारा आत्मशुद्धि की जाती है। 28 आचार प्रकल्पों की नामावली इस प्रकार है
(1) शस्त्र परिज्ञा, (2) लोक विजय, (3) शीतोष्णीय, (4) सम्यक्त्व, (5) लोकसार, (6) धताध्ययन. (7) महापरिज्ञा. (8) विमोक्ष. (9) उपधान श्रत. (10) पिण्डेषणा. (11) शय्या, (12) ईर्याध्ययन, (13) भाषा, (14) वस्त्रैषणा, (15) पात्रैषणा, (16) अवग्रह प्रतिमा, (17) सप्त स्थानादि सप्तैकिकाध्ययन, (18) नैषेधिकीसप्तैकिकाध्ययन, (19) उच्चारप्रस्रवणसप्तैकिकाध्ययन, (20) शब्दसप्तैकिकाध्ययन, (21) रूप सप्तैकिकाध्ययन, (22) परक्रियासप्तैकिकाध्ययन, (23) अन्योन्यक्रियाक्रियासप्तैकिकाध्ययन, (24) भावना, (25) विमुक्ति, (26) उद्घात, (27) अनुद्घात, (28) आरोपण। ___जैन धर्म दिवाकर आचार्य सम्राट् पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज ने समवायांग सूत्र के आधार पर आचार-प्रकल्प के भेद इस प्रकार किए हैं
1. एक महीने की आरोपणा।
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आवश्यक सूत्र भीमा
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IVth Chp.:Pratikraman ragasaggiwwwpwparagrapgargegegegarls