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प्रतिक्रमण आवश्यक Pratikraman Avashyak (Essential)
विधि : “तिक्खुत्तो” के पाठ से गुरुदेव को वन्दन करके चतुर्थ आवश्यक की आज्ञा ली जाती है। तत्पश्चात् प्रथम अध्ययन में ध्यानावस्था में पढ़े गए तीस पाठों को खड़े होकर मध्यम स्वर में पढ़ा जाता है। उसके बाद पुनः वंदन करके भूमि पर बैठकर दक्षिण जानु खड़ा रखके एवं वाम जानु भूमि पर रखकर निम्नलिखित सूत्र का उच्चारण किया जाता है
Procedure: After saluting the master with "Tikhutto lesson' the permission for fourth essential is sought, Thereafter thirty aphorism uttered in the first chapter in a state of meditation are repeated in a medium voice while standing. Thereafter again after saluting the master, the pupil sits on the ground keeping his right knee lifted and left knee touching the ground. Then he utters the aphorism given below:
श्रमण-सूत्र
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं । एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ॥
( भावार्थ - पूर्व सम समझें।)
(Its exposition has been given earlier)
चतुर्थ अध्ययन : प्रतिक्रमण
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Avashyak Sutra