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तेजस्काय विषयक अतिचार आलोचना
काय के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय ते मैं आलोउं, तेउकाया - संघट्टे आहार- पानी बहरया होय, बहराया होय, बहरतां प्रति अनुमोद्या होय, ते काय प्रमुख की विराधना करी होय, कराई होय, करतां प्रति अनुमोदी होय, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
भावार्थ : अग्नि ही जिन जीवों का शरीर है, उनके विषय में यदि हिंसादि दोष लगा है तो मैं उसकी आलोचना करता हूं।
यदि अग्नि से स्पर्शित आहार- पानी मैंने स्वयं ग्रहण किया हो, दूसरों से ग्रहण करवाया हो एवं ग्रहण करने वालों की अनुमोदना की हो, अंगार, ज्वाला आदि अग्निकाय प्रमुख की विराधना की हो तो उससे उत्पन्न दोष की मैं निन्दा करता हूं। मेरा वह दुष्कृत मिथ्या हो ।
Self Criticism of Violence to Fire Bodied Beings: I am sorry for any violence caused to fire-bodied living beings. I curse myself for any such fault committed, got committed appreciated by me.
वायुकाय विषयक अतिचार आलोचना
वाउकाय के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय ते मैं आलोउं, वाउकायावस्त्रे करी, लूंगड़े करी, छेड़े करी, उठते-बैठते, हालते -चालते, पूंजते - पड़िलेहते वाउकाया प्रमुख की विराधना करी होय, कराई होय, करतां प्रति अनुमोदी होय, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
भावार्थ : वायु ही जिन जीवों का शरीर है, ऐसे वायुकाय के संबंध में यदि किसी प्रकार का दोष लगा है तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। जैसे कि - वस्त्र या वस्त्रखण्ड के अयत्नापूर्वक झटकने से, अयत्नापूर्वक (खुले मुख) बोलने से, अयत्ना पूर्वक उठने-बैठने, हिलने - चलने, पूंजने एवं प्रतिलेखन करने से वायुकाय प्रमुख की मैंने स्वयं हिंसा की हो, दूसरे से करायी हो एवं करते हुए का अनुमोदन किया हो तो उससे उत्पन्न होने वाला पाप मिथ्या हो । उस दुष्कृत से मैं पीछे हटता हूं।
Self Criticism of Faults to Air Bodied Beings: I feel sorry for any violence to air-bodied beings. While improperly handling cloth. dressing up, sitting or standing,
Ist Chp. : Samayik
आवश्यक सूत्र
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