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________________ B Repenting after the infringement of any one of these the atonement of all the sins committed himself should be included into already assigned expiation. The one who after this mode of expiation of outwardly penance does the B "Pratisevana" again of any type of sin then his all the expiation should be included into the already assigned expiation. दो मास प्रायश्चित्त की स्थापिता आरोपणा BTHE ACCUSATION OF ESTABLISHING OF TWO MONTH'S EXPIATION 19. छम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दो मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा वीसइराइया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअटुं सहेऊं सकारणं अहीणमइरित्तं तेणं परं सवीसइराइया दोमासा। र 20. पंचमासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दो मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा वीसइराइया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेणं परं सवीसइराइया दो मासा। 21. चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता - आलोएज्जा-अहावरा वीसइराइया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअटें सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेणं परं सवीसइराइया दो मासा। 22. तेमासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा वीसइराइया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअळं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मासा। 23. दो मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा वीसइराइया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअठं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परंसवीसइराइया दो मासा। 24. मासियं परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावरा वीसइराइया आरोवणा आदिमज्झावसाणे सअळं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परंसवीसइराइया दो मासा। सर 19. छ: मासिक प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित्त वहन काल के प्रारम्भ में मध्य में या अन्त में प्रयोजन, हेतु या कारण से दो मास प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक बीस रात्रि की आरोपणा का प्रायश्चित्त आता है, उसके बाद पुनः दोष सेवन कर ले तो दो मास और बीस रात्रि का प्रायश्चित्त आता है। 20. पंचमासिक प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित्त वहन काल के प्रारम्भ में मध्य में या अन्त में प्रयोजन, हेतु या कारण से दो मास प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक बीस रात्रि की आरोपणा का प्रायश्चित्त आता है, उसके बाद पुनः दोष सेवन कर ले तो दो मास और बीस रात्रि का प्रायश्चित्त आता है। बीसवाँ उद्देशक (349) Twentieth Lesson NEL
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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