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घर विवेचन-भिक्षु को सचित्त नमक, मिट्टी आदि पर, सचित्त पानी पर या पानी के बर्तन पर, अंगारों पर या
चूल्हे पर तथा सचित्त घास सब्जी आदि पर कोई खाद्य पदार्थ या खाद्य पदार्थ युक्त बर्तन पड़ा हो तो उसमें से आहार घर लेना नहीं कल्पता है।
एकेन्द्रिय जीवों को स्पर्श मात्र से महान् वेदना होती है उस पर से खाद्य पदार्थ या बर्तन साधु के लिए उठाने से कुछ जीवों का संघटन होता है। जिससे उनको साधु के निमित्त से महती वेदना होती है। इस विराधना के कारण ऐसा आहार लेने का निषेध व प्रायश्चित्त कहा गया है। (-चूर्णि)
Comments-It is non-advisable for an ascetic to accept the food kept on 'sachit' salt, earth etc, sachit water or water pot, on cinder or on furnaces and on Sachit grass, vegetable etc. or any food pot lying there.
Even in just touching a one-sensed living being, it feels extreme pain. On lifting the pot or the eating material for an ascetic from there some living beings are likely to be
touched. They feel pain through it. Because of this violence the repentance and prohibition HK of taking food has been narrated (commentary).
शीतल करके दिया जाने वाला आहार ग्रहण करने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF ACCEPTING FOOD AFTER MAKING IT COLD 132. जे भिक्खू अच्चुसिणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा
1. सुप्पेण वा, 2. विहुणेण वा, 3. तालियंटेण वा, 4. पत्तेण वा, 5. पत्तभंगेण वा, ____6. साहाए वा, 7. साहाभंगेण वा, 8. पिहुणेण वा, 9. पिहुणहत्थेण वा, 10. चेलेण वा, 11.
चेलकण्णेण वा, 12. हत्थेण वा, 13. मुहेण वा फुमित्ता वीइत्ता आहटुंदेज्जमाणं पडिग्गाहेइ,
पडिग्गाहेंतंवा साइज्जइ। 132. जो भिक्षु अत्यन्त उष्ण अशन, पान, खादिम या स्वादिम पदार्थ को 1. सूप से, 2. पंखे से,
3. ताड़पत्र से, 4. पत्ते से, 5. पत्रखंड से, 6. शाखा से, 7. शाखा खंड से, 8. मोरपंख से, 9. मोरपीछी से. 10. वस्त्र से. 11. वस्त्र के किनारे से. 12. हाथ से या 13. मुँह से फैंक देकर
अथवा पंखे आदि से हवा करके लाकर देने वाले से ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का ‘समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) 32. The ascetic who accepts the offered food brought after making a very hot food,
water, sweets and the tasty items cold by winnowing plate, fan, palm tree leaves, leaves, piece of leaves, branch, branch section, peacock feather, peacock feather broom, cloth, clothes' border, hands, blowing through mouth or fanning or supports the ones who accepts so, a laghu-chaumasi expiation comes to him.
विवेचन-पंखे आदि से हवा करने पर वायुकाय के जीवों की विराधना तथा उड़ने वाले छोटे प्राणियों की पर विराधना होना सम्भव है। अतः इस प्रकार (वायुकाय की) विराधना करके शीतल किया गया आहार लेना भिक्षु पारे को नहीं कल्पता है। आचा. श्रु. 2, अ. 1, उ. 7 में इसका निषेध किया गया है और प्रस्तुत सूत्र में इसका प्रायश्चित्त
कहा गया है।
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वित्ताविसावतार सातारा
सत्रहवाँ उद्देशक
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Seventeenth Lesson