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सत्रहवाँ उद्देशक THE SEVENTEENTH CHAPTER
प्राथमिकी INTRODUCTION
इस उद्देशक में श्रमण को कौतूहल से त्रस प्राणियों को रस्सी आदि से बाँधने व खोलने, अनेक परे तरह की मालाएँ, कड़े, आभूषण बनाने व रखने, गृहस्थों से शरीर परिकर्म, बन्दे बर्तन खुलवाकर और
आहार लेने, सचित्त पृथ्वी पर रखे हुए आहार को लेने, तत्काल बने हुए अचित्त शीतल जल लेने, स्वयं को आचार्य पद योग्य कहलवाने, विविध वाद्य बजाने, हँसने, नृत्य करने, पशुओं की तरह आवाज निकालने, विविध वाद्यों को सुनने के लिए ललकाने, शब्द श्रवण के प्रति आसंक्ति रखने और आदि का निषेध किया गया है। जो श्रमण निषेध की अवहेलना कर इन प्रवृत्तियों को करता है और अथवा इनका समर्थन करता है उसके लिए लघुचौमासी प्रायश्चित्त का विधान है।
In this chapter the Shraman has been prohibited to tie and untie jokingly the movable creatures with the rope, keeping and making many types of rosary, bangles and ornaments from the householder accepting food, getting the water pot opened, taking the food kept on live land. Accepting the water that has been made immediately made non-live cold, to make the other call him Acharya, playing on the musical instruments, laughing, dancing and producing sound like the animals to be lured to listening differing music and to be infatuated towards the sweet songs, the Shraman who perform there prohibition avoiding these activities or supports others to perform them a laghuchaumasi expiation comes to him. कौतुहलजनित प्रवृत्तियों का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF PERFORMING CURIOUS ACTIVITIES 1. जे भिक्खू कोउहल्ल-वडियाए अण्णयरंतसपाणजायं___1. तण-पासएण वा, 2. मंजु-पासएण वा, 3. कट्ठ-पासएण वा, 4. चम्म-पासएण वा,
5. वेत्त-पासएण वा, 6. रज्जु-पासएण वा, 7. सुत्त-पासएण वा बंधइ, बंधतं वा साइज्जइ। 2. जे भिक्खू कोउहल्ल-वडियाए अण्णयरं तसपाणजायं तण-पासएण वा जाव सुत्त-पासएण
वा बद्धेलयं मुंचइ, मुंचतं वा साइज्जइ। 3. जे भिक्खू कोउहल्ल-वडियाए
1. तणमालियं वा, 2. मुंजमालियं वा, 3. वेत्तमालियं वा, 4. कट्ठमालियं वा, 5. मयणमालियं और
वा, 6. भिंडमालियं वा, 7. पिच्छमालियं वा, 8. हडमालियं वा, 9. दंतमालियं वा, | निशीथ सूत्र
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Nishith Sutra