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________________ 1875. जे भिक्खू मंतपिंडं भुंजइ, भुजंतं वा साइज्जइ। . 40 76. जे भिक्खूचुण्णपिंडं भुंजइ, भुंजतं वा साइज्जइ। और 77. जे भिक्खू जोगपिंडं भुंजइ, भुंजतं वा साइज्जइ। 78. जे भिक्खू अंतद्धाणपिंडं भुंजइ, भुंजंतं वा साइज्जइ। तंसेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं उग्घाइयं। 64. जो भिक्षु धातृपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 65. जो भिक्षु दूतपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 66. जो भिक्षु त्रैकालिक निमित्त कहकर आहार भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 67. जो भिक्षु आजीविक पिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 68. जो भिक्षु वनीपकपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 6 69. जो भिक्षु चिकित्सापिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 70. जो भिक्षु कोपपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। पर 71. जो भिक्षु मानपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 9372. जो भिक्षु मायापिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 73. जो भिक्षु लोभपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 74. जो भिक्षु विद्यापिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। पर 75. जो भिक्षु मंत्रपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 76. जो भिक्षु चूर्णपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 77. जो भिक्षु योगपिंड भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। 78. जो भिक्षु अंतर्धानपिंड (अदृष्ट रहकर ग्रहण किए हुए आहार को) भोगता है अथवा भोगने वाले का समर्थन करता है। The ascetic who consumes the "food collected by serving as nurse" or supports the ones who consumes so. 65. The ascetic who consumes the “food collected by serving as messenger” or supports the ones who consumes so. 66. The ascetic who consumes the food telling the cause of past, present and future and supports the ones who consumes so. 67. The ascetic who consumes the "Aajeevika food" or supports the one who consumes so. The ascetic who consumes the "Vanipak food" or supports the ones who consumes so. तेरहवाँ उद्देशक (239) Thirteenth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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