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________________ रात में लवणादि खाने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF CONSUMING SALT ETC. AT NIGHT 90. जे भिक्खू परियासियं पिप्पलिं वा, पिप्पलि-चुण्णं वा, मिरीयं वा, मिरीय- चुण्णं वा, सिंगबेरं वा, सिंगबेर- चुण्णं वा, 1 बिलं वा लोणं, उब्भियं वा लोणं आहारेइ, आहारेंतं वा साइज्जइ । 90. जो भिक्षु रात्रि में रखे हुए पीपर या पीपर का चूर्ण, मिर्च या मिर्च का चूर्ण, सोंठ या सोंठ का चूर्ण, बिड़लवण या उद्भिन्नलवण को खाता है अथवा खाने वाले का समर्थन करता है, (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है । ) 90. The ascetic who eats the pepper or pepper powder, chillies or chilly powder, dry ginger or dry ginger powder, different kinds of salt or supports the ones who eats so a guru-chaumasi expiation comes to him. बालमरण-प्रशंसा प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF COMMENDING AN UNNATURAL DEATH (BAL-MARENA) 91. जे भिक्खूं 1. गिरिपडणाणि वा, 2. मरु- पडणाणि वा, 3. भिगुपडणाणि वा, 4. तरुपडणाणि वा, 5. गिरिपक्खंदणाणि वा, 6. मरुपक्खंदणाणि वा, 7. भिगुपक्खंदणाणि वा, 8. तरुपक्खंदणाणि वा, 9. जलपवेसाणि वा, 10. जलणपवेसाणि वा, 11. जलपक्खंदणाणि वा, 12. जलण- पक्खंदणाणि वा, 13. विसभक्खणाणि वा, 14. सत्थोपाडणाणि वा, 15. वलयमरणाणि वा, 16. वसट्ट - मरणाणि वा, 17. तब्भव - मरणाणि वा, 18. अंतोसल्लमरणाणि वा, 19. वेहाणस - मरणाणि वा, 20. गिद्धपुट्ठ - मरणाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि बालमरणाणि पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ । तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं । 91. जो भिक्षु 1. पर्वत से दृश्य स्थान पर गिर कर मरना, 2. पर्वत से अदृश्य स्थान पर गिर कर मरना, 3. खाई - कुँए आदि में गिर कर मरना, 4. वृक्ष से गिर कर मरना, 5. पर्वत से दृश्य स्थान पर कूद कर मरना, 6. पर्वत से अदृश्य स्थान पर कूद कर मरना, 7. खड्ढे, कुँए आदि में कूद कर मरना, 8. वृक्ष से कूद कर मरना, 9. जल प्रवेश करके मरना, 10. अग्नि में प्रवेश करके मरना, 11. जल में कूद कर मरना, 12. अग्नि में कूद कर मरना, 13. विष - भक्षण करके मरना, 14. तलवार आदि शस्त्र कटकर मरना, 15. गला दबाकर मरना, 16. विरह व्यथा से पीड़ित होकर मरना, 17. वर्तमान भव को पुनः प्राप्त करने के संकल्प से करना, 18. तीर भाला आदि से विंध कर मरना, 19 फाँसी लगाकर मरना, 20. गृद्ध आदि से शरीर का भक्षण करवाकर मरना, इन आत्मघात रूप बाल-मरणों की अथवा अन्य भी इस प्रकार के बाल-मरणों की प्रशंसा करता है अथवा प्रशंसा करने वाले का समर्थन करता है, उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है। 91. The ascetic who commends - 1. to die falling at the places visible from mountains. 2. to die falling at the places invisible from mountains, 3. To die falling into the well and trenches. 4. to die falling from the trees, 5. to die jumping down at the ग्यारहवाँ उद्देशक (203) Eleventh Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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