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82. The ascetic who salutes the whimsical or supports the ones who does so.
विवेचन - स्व-बुद्धि से आगम विपरीत प्ररूपणा करने वाला 'यथाछंद' या स्वछन्दचारी कहलाता है। Comments-One who propagates own views against canon (Aagam) is called Yathaachhand or Swachhandachaari (heretic).
अयोग्य को प्रव्रजित करने का प्रायश्चित्त
THE ATONEMENT OF INITIATING THE UNWORTHY ONE
83. जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासग वा अणुवासगं वा अणलं पव्वावेइ, पव्वावेंतं वा साइज्जइ ।
84. जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासगं वा अणुवासगं वा अणलं उवट्ठावेइ, उवट्ठावेंतं वा साइज्जइ ।
83. जो भिक्षु अयोग्य स्वजन या परजन, उपासक या अनुपासक को प्रव्रजित करता है अथवा प्रव्रजित करने वाले का समर्थन करता है।
84. जो भिक्षु अयोग्य स्वजन या परजन, उपासक या अनुपासक को उपस्थापित करता है अथवा उपस्थापित करने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है ।)
83. The ascetic who consecrates the unworthy relative or a stranger, devotee or devotion less person or supports the ones who does so.
84. The ascetic who gives final initiation to an unworthy relative or stranger devotee or devotionless person or supports the ones who does so.
विवेचन - प्रव्रज्या के अयोग्य व्यक्ति निम्नलिखित हैं
1. बाल - आठ वर्ष से कम उम्र वाला। 2. वृद्ध - सत्तर वर्ष से अधिक उम्र वाला। 3. नपुंसक - जन्म - नपुंसक, कृत- नपुंसक, स्त्री- नपुंसक तथा पुरुष नपुंसक आदि । 4. जड़ - शरीर से अशक्त, बुद्धिहीन व मूक । 5. क्लीब - स्त्री के शब्द, रूप, निमन्त्रण आदि के निमित्त से उदित मोह-वेद को निष्फल करने में असमर्थ । 6. रोगी - 16 प्रकार के रोग और आठ प्रकार की व्याधि में से किसी भी रोग या व्याधि से युक्त । शीघ्रघाती व्याधि कहलाती है और चिरघाती रोग कहलाते हैं । - भाष्य गा. 364717. चोर - रात्रि में पर- घर प्रवेश कर चोरी करने वाला, जेब काटने वाला इत्यादि अनेक प्रकार के चोर डाकू लुटेरे । 8. राज्य का अपराधी - किसी प्रकार का राज्यविरूद्ध कार्य करने पर अपराधी घोषित किया हुआ । 9. उन्मत्त - यक्षाविष्ट या पागल। 10. चक्षुहीनजन्मांध हो या बाद में किसी एक या दोनों आँखों की ज्योति चली गई हो। 11. दास - किसी का खरीदा हुआ
अन्य किसी कारण से दासत्व को प्राप्त। 12. दुष्ट - कषाय दुष्ट (अति क्रोधी), विषयदुष्ट (विषयासक्त) । 13. मूर्ख - द्रव्यमूढ आदि अनेक प्रकार के मूर्ख - भ्रमित बुद्धि वाले । 14. कर्जदार - अन्य की सम्पत्ति उधार लेकर न देने वाला। 15. जुगित (हीन) - जाति से, कर्म से, शिल्प से हीन और शरीर से हीनांग (जिसके नाक, कान, पैर, हाथ आदि कटे हुए हों ) । 16. बद्ध - कर्म, शिल्प, विद्या, मंत्र आदि सीखने या सिखाने के निमित्त किसी के साथ प्रतिज्ञा बद्ध हो । 17. भृतक - दिवसभृतक, यात्राभृतक आदि । 18. अपहृत - माता-पिता आदि की आज्ञा बिना अदत्त लाया हुआ बालक आदि । 19. गर्भवती - स्त्री । 20. बालवत्सा - दुधमुंहे बच्चे वाली स्त्री । भाष्य में इनके भेद - प्रभेद किए हैं तथा इन्हें दीक्षा देने से होने वाले दोषों और उनके प्रायश्चित्तों के अनेक विकल्प कहे हैं।
निशीथ सूत्र
(200)
Nishith Sutra