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________________ 27. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ । तं जहा - 1. खुज्जाण वा, 2. चिलाइयाण वा, 3. वामणीण वा, 4. वडभीण वा, 5. बव्वरीण वा, 6. बउसीण वा, 7. जोणियाण वा, 8. पल्हवियाण वा, 9. इसीणीयाण वा, 10. धोरूगीणीण वा, 11. लासियाण वा, 12. लउसीयाण वा, 13. सिंहलीण वा, 14. दमिलीण वा, 15. आरबीण वा, 16. पुलिंदीण वा, 17. पक्की वा, 18. बहलीण वा, 19. मुरंडीण वा, 20. सबरीण वा, 21. पारसीण वा । तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं । 21. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के - 1. अंगरक्षक, 2. आधीन राजा, 3. जागीरदार, 4. राजा आश्रित रहने वाले वंशज, 5. और इन चारों के सेवकों के लिए निकाला हुआ अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। 22. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के - 1. नाटक करने वाले, 2. नृत्य करने वाले, 3. डोरी पर नृत्य करने वाले, 4. स्तुति पाठ करने वाले, 5. मल्लयुद्ध करने वालें, 6. मुष्टियुद्ध करने वाले, 7. उछल-कूद करने वाले, 8. अनेक प्रकार के खेल करने वाले, 9. कथा करने वाले, 10. नदी आदि में तैरने वाले, 11. जय-जय ध्वनि करने वाले, इनके लिए निकाला हुआ अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। 23. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के - 1. अश्व, 2. हस्ती, 3. महिष, 4. वृषभ, 5. सिंह, 6. व्याघ्र, 7. अजा, 8. कबूतर, 9. मृग, 10. श्वान 11. शूकर, 12. मेंढा, 13. कुक्कुट, 14. बंदर, 15. तीतर, 16. बतख, 17. लावक, 18. चिरल्ल, 19. हंस, 20. मयूर, 21. तोता, इन पशु-पक्षियों के पोषण करने वाले अर्थात् इनको पालने वालों या रक्षण करने वालों के लिए निकाला हुआ अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। 24. . जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के - (1-2) अश्व और हस्ती को विनीत अर्थात् शिक्षित करने वाले के लिए, (3-4) अश्व और हस्ती को फिराने वालों के लिए, (5-6) अश्व और हस्ती को आभूषण, वस्त्र आदि से सुसज्जित करने वालों के लिए तथा (8-9) अश्व और हस्ती पर युद्ध आरूढ होने वालों के लिए अर्थात् सवारी करने वालों के लिए निकाला हुआ अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। 25. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के - 1. संदेश देने वाले, 2. मर्दन करने वाले, 3. मालिश करने वाले, 4. उबटन करने वाले, 5. स्नान करने वाले, 6. 6. मुकुट आदि आभूषण पहिनाने वाले, 7. छत्र धारण कराने वाले, 8. चामर धारण कराने वाले, 9. आभूषणों की पेटी रखने वाले, 10. बदलने के वस्त्र रखने वाले, 11. दीपक रखने वाले, नवम उद्देशक (167) Nineth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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