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प्राथमिकी INTRODUCTION
इस उद्देशक में उद्यान, निर्याण, अट्ट, चरिका, प्राकार, द्वार, गोपुर, दक, दकमार्ग, शून्यस्थान, शून्यगृह आदि का अर्थ स्पष्ट करते हुए श्रमण को सूचित किया गया है कि यदि वह इन सभी स्थानों में एकाकी महिला के साथ विचरण करता है, रात्रि में भोजन की अन्वेषणा एवं राजपिंड आदि ग्रहण करता है तो उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त करना होता है।
आठवाँ उद्देशक
THE EIGHTH CHAPTER
In this chapter clarifying the definition of garden Niryana, Att, Charika fence, gati, main gate, dak, dak path, isolated place, deserted house, etc. the shramana has been informed that if he moves with a solitary woman in these places, accepts the royal food and travels at night in search of food then Guruchaumasi expiation comes to him.
अकेली स्त्री के साथ सम्पर्क करने के प्रायश्चित्त
THE ATONEMENT OF ESTABLISHING CONTACTS WITH SOLITARY WOMAN
1. जे भिक्खू आगंतारंसि वा, आरामागारंसि वा, गाहावइकुलंसि वा, परियावसहंसि वा, एगो एगिथिए सद्धि विहारं वा करेइ, सज्झायं वा करेइ, असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, आहारेइ, उच्चारं वा, पासवणं वा परिट्ठवेइ, अण्णयरं वा अणारियं णिट्ठरं असमणपाउगं कहं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ ।
2. जे भिक्खू उज्जाणंसि वा, उज्जाणगिर्हसि वा, उज्जाणसालंसि वा, णिज्जाणंसि वा, णिज्जाणगिहंसि वाणिज्जाणसालंसि वा एगो एगिथिए सद्धिं विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहे, कतं वा साइज्जइ ।
3.
भिक्खू असवा, अट्टालयंसि वा, चरियंसि वा, पागारंसि वा, दारंसि वा गोपुरंसि वा एगो एगित्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ । 4. जे भिक्खू दग-मग्गंसि वा, दग-पहंसि वा, दग-तीरंसि वा, दग-ठाणंसि वा एगो एगिथिए सद्धि विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ ।
5. जे भिक्खू सुण्णगिर्हसि वा, सुण्णसालंसि वा, भिण्णगिहंसि वा, भिण्णसालंसि वा, कूडागारं स वा, कोट्ठागारंसि वा एगो एमित्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहे, कतं वा साइज्जइ ।
6.
जे भिक्खू तहिंसि वा, तणसालंसि वा, तुसगिहंसि वा, तुससालंसि वा, भुसगिहंसि वा, भुसालंसि वा एगो एगित्थीए सद्धि विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहेइ, कहेंतं वा
साइज्जइ ।
निशीथ सूत्र
(148)
Nishith Sutra