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8.
भिक्खू सचित्त-रुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं अणुजाण, अणुजाणंतं वा साइज्जइ । भिक्खू सचित्त-रुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं वाएइ वायंतं वा साइज्जइ ।
9.
10. जे भिक्खू सचित्त-रुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं पडिच्छइ, पडिच्छंतं वा साइज्जइ । 11. जे भिक्खू सचित्त- रुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं परियट्टेइ परियट्ठतं वा साइज्जइ ।
1.
2.
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3. जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर अशन पान खाद्य या स्वाद्य का आहार करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
7.
जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में (वृक्ष स्कन्ध के पास की सचित्त पृथ्वी पर ) खड़ा रहकर या बैठकर एक बार या अनेक बार (इधर-उधर ) देखता है अथवा देखने वाले का समर्थन करता है।
जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर कायोत्सर्ग, शयन करता है या बैठता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है।
5. जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर स्वाध्याय करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
6.
जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर स्वाध्याय का उद्देश्य करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल समर्थन करता है।
में ठहरकर उच्चार - प्रस्रवण परठता है अथवा परठने वाले का
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8.
जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर स्वाध्याय की आज्ञा देता है अथवा देने वाले का समर्थन
करता 1
9. जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर सूत्रार्थ की वाचना देता है अथवा देने वाले का समर्थन करता है।
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जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर स्वाध्याय का समुद्देश करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
10. जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर सूत्रार्थ की वाचना ग्रहण करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
3.
11. जो भिक्षु सचित्त वृक्ष के मूल में ठहरकर स्वाध्याय का पुनरावर्तन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
The ascetic who stays at (living) Sachit root of a tree, sleeps or performs the activity of kayotsarag or sits or supports the ones who does so.
The ascetic who takes food, water, sweet and tasty items staying at the living root of the tree or supports the ones who does so.
निशीथ सूत्र
(112)
The ascetic who looks hither and thither once or repeatedly sitting or standing at the root of a tree or supports the ones who sees so.
Nishith Sutra