SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ those who have established themselves in the life of strict ascetic discipline. He who does not follow their harsh code of conduct or who follows opposite (parshwa) conduct is called parshwasth. सचित्त-लिप्त हस्तादि से आहार ग्रहण करने का प्रायश्चित्त THE EXPIATION OF TAKING FOOD FROM THE HANDS SMEARED WITH LIVEO OBJECT घरे 49. जे भिक्खू"उदउल्लेण" हत्थेण वा मत्तेण वा, दव्वीए वा, भायणेण वा, असणं वा, पाणं वा, खाइमंवा,साइमंवा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 48 50. जे भिक्खू"मट्टिया-संसट्टेण" हत्थेण वा “जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। १. 51. जे भिक्खू “ऊस-संसट्टेण" हत्थेण वा “जाव' पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 52. जे भिक्खू“हरियाल-संसट्टेण" हत्थेण वा “जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 53. जे भिक्खू"हिंगुल-संसट्टेण" हत्थेण वा “जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 54. जे भिक्खू “मणोसिल-संसट्टेण" हत्थेण वा “जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 55. जे भिक्खू "अंजण-संसट्टेण" हत्येण वा""जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 56. जे भिक्खू"लोण-संसट्टेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 57. जे भिक्खू “गेरुय-संसट्टेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 58. जे भिक्खू "वण्णिय-संसद्वेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 59. जे भिक्खू “सेढिय-संसट्टेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 60. जे भिक्खू“सोरठ्ठियपिट्ठ-संसट्टेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 61. जे भिक्खू"कुक्कुस-संसट्टेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 62. जे भिक्खू"उक्कुट्ठ-संसट्टेण" हत्थेण वा" "जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 63. जेभिक्खू"असंसट्टेण" हत्येण वा “जाव" पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 49. जी भिक्षु पानी से गीले हाथ से मिट्टी के बर्तन (सरावला प्याला आदि) से, कुड़छी से या किसी धातु के बर्तन से दिया जाने वाला अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। 50. जो भिक्षु सचित्त मिट्टी से लिप्त, हाथ से यावत् ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। 3351. जो भिक्षु उस-पृथ्वी-खार से लिप्त, हाथ से यावत् ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का 4 समर्थन करता है। 52. जो भिक्षु हड़ताल-चूर्ण से लिप्त, हाथ से यावत् ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। चतुर्थ उद्देशक (99) Fourth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy