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________________ घर जाना चाहिए। इस कारण से तथा अन्य किसी विशेष कारण से उस स्थान तक जाना न हो सके तो तीन कमरे जितनी जर दूरी से गृहस्थ लाकर दे तो एषणा दोषों को टालकर ग्रहण किया जा सकता है। Comments-Accept the food only standing out side the room or in it, in which room the food etc has to be accepted. In the first chapter of Dasvaikalik Sutra it has been said that "Kulass Bhumim Janita, Miyam Bhumim Prakhame". It means the ascetic must enter upto the limit ascertained to go into the scheduled clans. If the householder gives the food from the distance of three rooms then the ascetic should accept the food by avoiding the faults of "Aeshana". पाँव परिकर्म प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF LEGS "PARIKARAM" 16. जे भिक्खू अप्पणो “पाए" आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा, आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा साइज्जइ। 17. जे भिक्खू अप्पणो “पाए" संबाहेज्ज वा पलिमद्देज्ज वा, संबाहेंतं वा पलिमदे॒तं वा साइज्जइ। 18. जे भिक्खू अप्पणो “पाए" तेल्लेण वा जाव णवणीएण वा अब्भंगेज्ज वा मक्खेज्ज वा, अब्भंगेंतं वा मक्खेंतं वा साइज्जइ। 19. जे भिक्खू अप्पणो “पाए" कक्केण वा जाव वण्णेहिं वा उल्लोलेज्ज वा उव्वट्टेज्ज वा, उल्लोलेंतं वा उव्वटेंतं वा साइज्जइ। 20. जे भिक्खू अप्पणो “पाए" सीओदगवियडेग वा, उसिणोदग-वियडेग वा उच्छोलेज्ज वा ____ पधोवेज्ज वा, उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा साइज्जइ। और 21. जे भिक्खू अप्पणो “पाए" फुम्मेज्ज वा, रएज्ज वा, फुतं वा रएंतं वा साइज्जइ। । 16. जो भिक्षु अपने पैरों का एक बार या बार-बार आमर्जन' करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 17. जो भिक्षु अपने पैरों का 'संवाहन'-मर्दन, एक बार या बार-बार करता है अथवा करने वाले का घरे समर्थन करता है। 18. जो भिक्षु अपने पैरों की तेल यावत् मक्खन से एक बार या बार-बार मालिश करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 19. जो भिक्षु अपने पैरों का कल्क यावत् वर्गों से एक बार या बार-बार उबटन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 20. जो भिक्षु अपने पैरों को अचित्त शीतल जल से या अचित्त उष्ण जल से एक बार या बार-बार धोता है अथवा धोने वाले का समर्थन करता है। 21. जो भिक्षु अपने पैरों को (लाक्षारस, मेहंदी आदि से) रंगता है या (तेल आदि से) उस रंग को चमकाता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है।) 16. The ascetic who washes once or repeatedly his legs or supports the ones who washes so. निशीथ सूत्र (70) Nishith Sutra
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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