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-लेखक एवं प्रवचनकारप. पू. पंन्यास
श्री अरूणविजय गणिवर्य महाराज (राष्ट्रभाषा रत्न वर्धा, साहित्य रत्न-प्रयाग, न्याय दर्शनाचार्य - बम्बई ) विश्व प्रसिद्ध राणकपुर तीर्थ के पास १६८७ वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक श्री हथूण्डी राता महावीरस्वामी तीर्थ की पावन भूमि के समीपस्थ बिजापुर (पाली) राजस्थान गांव के प्रसिद्ध अग्रगण्य श्रेष्ठी श्री चंदुलाल खुशालचंद झवेरी परिवार के सेवाभावी कर्मठ कार्यकर्ता श्रीमान झवेरचंदजी के सुपुत्र श्रीमान गुलाबचंदजी की धर्मपत्नी १२ वर्षीतप की तपस्वीनि श्रीमति शान्तिदेवी के सुपुत्र अरुणकुमार जैन ने नव यौवन में ही १८ वर्ष की युवानी में ही संसार का त्याग करके महाभिनिष्क्रमण के पंथ पर प्रयाण पर चारित्रधर्म आर्हती दीक्षा स्वीकार करके अणगार जैन साधु बने ।
वर्धा से हिन्दी भाषा की परीक्षा देकर राष्ट्रभाषा रत्न बने और प्रयाग से साहित्य रत्न बने । भारतीय विद्या भवन - बम्बई से संस्कृत भाषा के माध्यम से दर्शनक्षेत्र की परीक्षाएं देकर न्याय - दर्शनाचार्य की उपाधि प्राप्त की है शिक्षा के क्षेत्र में मान्य उपाधियां प्राप्त करके संप्रति शोध प्रबन्ध लिखने में व्यस्त हैं । विविध भाषाओं पर लेखन एवं भाषण का उभय प्रभुत्व आपने प्राप्त किया है । अतः विविध भाषाओं में प्रवचन भी देते हैं और लेखन भी आप करते हैं । जिसकी प्रसादी के रूप में पुस्तकें शासन को अर्पित की है ।
स्व-पर शास्त्र में पारंगत पूज्यश्री ने महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश की धरती पर विचरण करके अनेक यशस्वी चातुर्मास किये हैं । एवं शिक्षण शिबिरों के माध्यम से युवा पीढी को धर्म सन्मुख किया है । आप सफल शिबिर संचालक एवं विविध विषयों के कुशल वाचना दाता हैं । ब्लेक बोर्ड पर सचित्र प्रवचन समझाना आपकी विशेषता है । आप जैन शासन के माने हुए विद्वान एवं कुशल व्याख्याता तथा सिद्धहस्त लेखक भी है । आगमों के संपादक भी है । बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न आपने संस्कृत पण्डित परिषदों का आयोजन किया है तथा संस्कृत में धाराप्रवाहबद्ध संभाषण दार्शनिक विषयों पर किया है। आप गहरे तत्त्वचिंतक है । वैज्ञानिक एवं तर्क युक्तिगम्य पद्धति से पदार्थों का विश्लेषण करते हैं । आपही की प्रेरणा एवं मार्गदर्शनानुसार श्री हण्डी राता महावीर स्वामी तीर्थ का जीर्णोद्धार एवं सर्वांगीण विकास हो रहा है । जिसमें श्री महावीर वाणी समवसरण मंदिर का नवनिर्माण हो रहा है ।
शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्रीमद् विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के पट्टप्रभावक प. पू. आचार्य देव श्रीमद् विजय भक्ति सूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर पू. आचार्य देव श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. सा. के गुरूबंधु पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुबोधसूरीश्वरजी म. सा. के आप विद्वान शिष्य रत्न है । गुमराह युवापीढि का कायाकल्प करनेवाले आप श्री महावीर विद्यार्थी कल्याण केन्द्र संस्था (बम्बई) के सफल सुकानी हैं ।